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बिलासपुर

एमबीबीएस कोर्स पर छाई महंगाई , कॉलेजों में अब इतने लाख देकर कर सकेंगे पढ़ाई

एमबीबीएस (MBBS) पर छाई महंगाई- 120 सीट (medical seats in college) के मरहम पर दो लाख से ज्यादा की चोट, निजी कॉलेजों में महंगी हुई एमबीबीएस की फीस (fees) , दो गुना वृद्धि (fee hike) की मांग कर रहे थे कालेज प्रबंधन

बिलासपुरJun 23, 2019 / 11:45 am

Saurabh Tiwari

hike in fees of MBBS course in colleges

एमबीबीएस कोर्स पर छाई महंगाई , कॉलेजों में अब इतने लाख देकर कर सकेंगे पढ़ाई

बिलासपुर। एक ओर सरकार ने प्रदेश के पांच शासकीय मेडिकल कॉलेज में इडब्ल्यूएस कोटे के तहत 120 सीट बढ़ाकर आवेदकों और उनके पालकों को राहत दी है तो दूसरी ओर निजी मेडिकल कॉलेज में फीस वृद्धि के प्रस्ताव को अनुमति दे दी गई है। ऐसे में इस वर्ष से निजी मेडिकल कॉलेज पिछली फीस की तुलना में लगभग 2 लाख 43 हजार रुपए ज्यादा वसूलेंगे। ये फीस कॉलेज के ग्रेड के हिसाब से थोड़ा बहुत ऊपर नीचे हो सकता है। हॉस्टल और मेस की फीस भी पिछले स्ट्रक्चर की तुलना में 75 हजार के आसपास बढ़ा दी गई है।
बढ़ी हुई फीस के दायरे में ट्यूशन फीस, क्लिीनिकल एवं ट्रांसपोर्टेशन, हास्टल व मेस, एडमिशन फार्म, गणवेश, परिचयपत्र, लाइब्रेरी आदि शामिल हैं। यदि कुछ नहीं बढ़ा है तो वो कॉशन मनी है जिसे पिछले फीस रिविजन के तहत ही रखा गया है। एक कॉलेज के नए फीस स्ट्रक्चर के हिसाब से इस वर्ष पिछली फीस सात लाख तीस हजार की तुलना में नौ लाख 73 हजार क आसपास प्रतिवर्ष अदा करना होगा। इस फीस स्ट्रक्चर का निर्धारण तीन वर्ष के लिए होता है। पिछली बार रिविजन 2016 में हुआ था। 2019 का रिविजन सत्र 2021-22 के लिए होगा।
आठ से 12 लाख वृद्धि की कर रहे थे मांग
प्रदेश सरकार के डायरेक्ट्रेट ऑफ मेडिकल एजुकेशन से मिली जानकारी के अनुसार प्रदेश के निजी कॉलेजों की ओर से आठ लाख रुपए से 12 लाख रुपए तक के फीस वृद्धि की मांग की जा रही थी। निजी मेडिकल कॉलेजों की दलील यह थी कि वर्तमान फीस स्ट्रक्चर से कॉलेज का संचालन मुश्किल हो रहा है। जो फीस रखी गई है वो पर्याप्त नहीं है। शंकराचार्य मेडिकल कॉलेज 11 लाख फीस करने की मांग कर रहा था वहीं चंदूलाल चंद्राकर कॉलेज की ओर से 12 लाख रुपए फीस करने की मांग की जा रही थी। जबकि रिम्स ने ये कहा कि फीस इतना हो कि कॉलेज का संचालन सही तरीके से हो सके।
एनआरआई कोटा भी महंगा
फीस वृद्धि की सबसे अधिक मार निजी मेडिकल कॉलेजों में एनआरआई कोटे पर पड़ी है। पिछली बार इस कोटे से 29500 यूएस डॉलर प्रतिवर्ष फीस तय थी जो कि इस बार बढ़कर 35 हजार यूएस डॉलर हो गई है।
कॉलेजों को दिया गया है ग्रेड
प्रवेश तथा फीस विनियामक समिति की ओर से एमबीबीएस पाठ्य क्रम 2019-20, 20-21 और 21-22 के लिए इन कॉलेजों के निरीक्षण के उपरांत समिति ने इंफ्रास्ट्रक्चर, लायबे्ररी, लेबोरेटरी आदि सभी दृष्टिकोणों से निरीक्षण के उपरांत कालेजों को अच्छा, बहुत अच्छा और साधारण की श्रेणी में रखा गया है। इसके तहत शंकराचार्य इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल कॉलेज भिलाई को बहुत अच्छा, चंदूलाल चंद्राकर कॉलेज व रायपुर इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल कॉलेज को अच्छा की श्रेणी में रखा गया है।
अब आपके लिए क्या
0. संबंधित संस्था उक्त फीस के अतिरिक्त कोई भी शुल्क, भवन, फर्नीचर, उपकरण आदि के मद में वसूली नहीं कर सकती।
0. संस्था छात्र से एक मुश्त कॉशन मनी मात्र 20 हजार रुपए वसूल सकेगी जो कि संस्थान छोडऩे पर वापस करना होगा।
0. संस्था की ओर से निर्धारित फीस के अतिरिक्त या अधिक फीस लेना या निर्धारित मद के अतिरिक्त अन्य मद में फीस लेना केपिटेशन फीस कहलाएगी ऐसे में दोषी संस्था पर कार्रवाई हो सकती है।
0. संस्था की ओर से ट्रांसपोर्टेशन, छात्रावास व मेस शुल्क न लाभ न हानि के आधार पर केवल उपयोगकर्ता छात्रों से ही लिया जाएगा। ट्यूशन फीस के अलावा अन्य फीस जिन-जिन मदों में ली जाएगी उसका पूरा विवरण देना होगा।
0. विश्वविद्यालय शुल्क एवं काउंसिलिंग शुल्क शासन एवं विश्वविद्यालय द्वारा बनाए गए नियमों के तहत ही लिया जाएगा।
0. समिति की ओर से तय फीस अधिकतम हैं कोई संस्था चाहे तो इससे कम फीस भी ले सकती है।
0. संस्था द्वारा प्रवेश के समय स्थानांतरण प्रमाणपत्र एवं माइग्रेशन प्रमाणपत्र के अलावा और कोई भी मूल प्रमाणपत्र जैसे 10 वीं, 12 वीं की मूल अंकसूची, मूल निवास व जाति प्रमाणपत्र आदि जमा नहीं कराया जाएगा। केवल सत्यापन के लिए उसका अवलोकन किया जा सकता है।
किस कॉलेज में कितना
डीएमई की ओर से दी गई जानकारी के अनुसार शंकराचार्य मेडिकल कॉलेज में इस वर्ष एमबीबीएस की फीस हास्टल के दो लाख रुपए मिलाकर 9 लाख 73 हजार 156 रुपए होगी। वहीं रिम्स की फीस सात लाख 23 हजार 156 होगी इसके अलावा यदि हास्टल व मेस की सुविधा लेते हैं तो और दो लाख रुपए जुड़ जाएंगे। जबकि रिम्स की ओर से दी गई जानकारी में कहा गया है कि एडमिशन के समय एक साल के फीस के बराबर की बैंक गारंटी जमा करनी होगी जो कि साढ़े चार साल के लिए होगी।

इन कॉलेजों में फीस वृद्ध का निर्णय सभी पहलुओं को ध्यान में रखकर प्रवेश तथा फीस विनियामक समिति निर्णय लेती है और डायरेक्ट्रेट को अवगत कराती है। ये निर्णय भी कोर्ट की ओर से समय-समय पर जारी गाइडलाइन के तहत लिया जाता है।
निर्मल वर्मा, एडिशनल डायरेक्टर, डीएमई
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