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बिलासपुर

आईएसएफआर-2021 में छत्तीसगढ़ में बढ़ा वनक्षेत्र, लेकिन ये साधारण वृद्धि

ISFR-2021: छत्तीसगढ़ में वनक्षेत्र- 59772 वर्ग किमी- 44.21 फीसद, संरक्षित वनक्षेत्र- 24034 वर्ग किमी- 43.13 फीसद, अनारक्षित वनक्षेत्र- 25786 वर्ग किमी- 40.13 फीसद तथा अवर्गीकृत वनक्षेत्र- 9952 वर्ग किमी- 16.65 फीसद है

बिलासपुरJan 18, 2022 / 10:16 pm

rampravesh vishwakarma

Chhattisgarh forest

ISFR-2022

बरुण सखाजी.
बिलासपुर. ISFR-2021: हाल ही में जारी की गई भारतीय राज्य वन रिपोर्ट (आईएसएफआर) के मुताबिक छत्तीसगढ़ के वनक्षेत्र में 106 वर्ग किलोमीटर की बढ़त दर्ज की गई है। इस सूची में सबसे ज्यादा वन क्षेत्र बढ़ाने वाले राज्यों में आंध्रप्रदेश, तेलंगाना और ओडिशा हैं। वहीं पूर्वोत्तर में वनक्षेत्र में कमी चौकाने वाली है। आईएसएफआर हर दो साल में जारी की जानी वाली रिपोर्ट है। यह आखिरी बार 2019 में जारी की गई। आईएसएफआर-2021 के मुताबिक छत्तीसगढ़ को लंबी छलांग की जरूरत है। यह वृद्धि बहुत मामूली है, जबकि राज्य में संभावनाएं बहुत अधिक हैं। हालांकि पिछली रिपोर्ट में 64 वर्ग किलोमीटर की वृद्धि की तुलना में यह बेहतर जरूर है।

2019 में बढ़ा था 64 वर्ग किलोमीटर
राज्य का वनक्षेत्र साल 2019 में आई आईएसएफआऱ में 2017 की रिपोर्ट के मुकाबले 64 वर्ग किलोमीटर बढ़ा था। राज्य का वनक्षेत्र 41.13 फीसद तक पहुंच गया था।

अनूठा प्रदेश जहां आधे गांवों के पास हैं जंगल
आईएसएफआर के मुताबिक प्रदेश के 50 फीसद गांव ऐसे हैं जिनके 5 किलोमीटर के दायरे में वनक्षेत्र लगा हुआ है। यहां की बड़ी जन आबादी वनोपज पर निर्भर है। इसे देखते हुए यहां देश के चुनिंदा राज्यों में ज्याइंट फॉरेस्ट मैनेजमेंट (जेएफएम) किया जाता है। इसमें ऐसे वनग्रामों को चिन्हित किया जाता है, जहां की आबादी की आजीविका वनोपज पर निर्भर है। उनके साथ मिलकर वन संरक्षण के काम किए जाते हैं।

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टाइगर रिजर्व एरिया की भी हुई गणना
जनवरी 2022 में जारी की गई आईएसएफआर 2021 में टाइगर रिजव्र्स को भी अलग से गिना गया है। देश में वनक्षेत्र के लगभग 74 फीसद एरिया को टाइगर रिजर्व के लिए चिन्हित किया गया है। छत्तीसगढ़ में 11 वाइल्ड लाइफ अभयारण, 3 राष्ट्रीय पार्क हैं जो प्रदेश के कुल भूभाग के लगभग 5 फीसद इलाके में पसरे हैं।

2015 से 19 में सबसे ज्यादा फॉरेस्ट क्लीयरेंस
2015 से 2019 के बीच में गैर वन्य उपयोगों के लिए सबसे ज्यादा क्लीयरेंस दिए गए। रिपोर्ट के मुताबिक इस दौरान 3793 हैक्टेयर जंगल की जमीन को किसी अन्य कार्य के लिए दिया गया। इन कार्यों में रेलवे विस्तार, खनन, उद्योग आदि आते हैं।

सामाजिक कार्यकर्ता खुश नहीं, और बढऩा चाहिए
सामाजिक कार्यकर्ता इस वृद्धि से प्रसन्न नहीं हैं। वे मानते हैं कि यह क्षेत्र और बढ़ाया जा सकता है। इसके लिए सही प्रयास नहीं हो रहे। वहीं वाइल्ड लाइफ में काम करने वालों का मानना है कि एरिया बढ़ तो रहा है, लेकिन समानांतर वन्यजीवों को भी बढऩा चाहिए था, जो फिलहाल नहीं दिखाई पड़ता।

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वन्य क्षेत्र बढऩा अच्छी बात
वन्यक्षेत्र बढऩा अच्छी बात है, लेकिन इस रिपोर्ट में बहुत सी बातें कागजी होती हैं। क्योंकि यह स्वाभाविक सी बात है कि जब एरिया बढ़ेगा तो वन्यजीव भी बढऩे चाहिए,जबकि ऐसा होता नहीं है।
– कुंवर हनुमंत सिंह, वन्यजीव संरक्षक

इजाफा जारी रखने का प्रयास
हमारे प्रयास हैं इसमें इजाफा जारी रहे। इसीलिए एलिफेंट रिजर्व में आ रही कुछ कोल खदानों को हम लगातार केंद्र से ऑक्शन न करने और क्लीयरेंस न देने को कह रहे हैं।
– मो. अकबर, वनमंत्री, छत्तीसगढ़

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