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बिलासपुर

पढ़िए बाघ के साथ ग्रामीण के संघर्ष की कहानी, अचानक हमले के बाद ऐसे बचाई जान

जंगल से गुज़र रहा था ग्रामीण झाड़ियों के पीछे से निकला बाघ (achanakmar amarkantak) , संघर्ष के बाद भी कैसे बच गया ज़िंदा पढ़िए पूरी दास्तान

बिलासपुरAug 06, 2019 / 02:31 pm

Saurabh Tiwari

tiger attack man in village jungle

पढ़िए बाघ के साथ ग्रामीण के संघर्ष की कहानी, अचानक हमले के बाद ऐसे बचाई जान

लोरमी. एटीआर में एक आदिवासी के ऊपर एक जंगली जानवर ने हमला कर दिया। हलांकि पीडि़त का कहना है कि वो बाघ था पर इसकी पुष्टि वन अधिकारी नहीं कर रहे हैं। (tiger attack human) पीडि़त या घायल की बातों से भी कई विरोधाभासी जानकारी सामने आ रही हैं। बहरहाल घायल को उपचार हेतु गनियारी लाया गया लेकिन उनकी हालत चिंताजनक होने के चलते उसे बिलासपुर रेफर कर दिया गया।
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मिली जानकारी के अनुसार वनांचल ग्राम निवासखार निवासी शिवसिंह पिता फूल सिंह मरावी किसी काम को लेकर 2 दिन पहले लमनी अपने रिश्तेदार के यहां गया हुआ था, कुछ दूरी के बाद उसके रिश्तेदार ने आधे रास्ते में छोड़ दिया। इतने में वे दियाबार की जंगलो की रास्ते से घर आ रहे थे। (tiger attack human in India) पीडि़त के अनुसार उसे एक झाड़ी से बाघ के दहाडऩे की आवाज सुनाई दी। वो बचने के लिए एक पेड़ के नीचे चला गया। इतने में बाघ ने सीधे उसके ऊपर हमला कर दिया। ग्रामीण का कहना है कि दांत व नाखून से बाघ ने बार-बार हमला किया पर उसने चलाकी दिखाई और वो सांस बंद कर लेट गया, फिर बाघ मरा समझकर भाग गया। कुछ समय बाद जब वो जागा तो खून से लथपथ शरीर लेकर छिरहुट्टा गांव पहुंचा जहां पर एक बैगा ने उसको पानी पिलाकर वनकर्मी को इसकी सूचना दी। इधर घायल अवस्था में उसे गनियारी जन स्वास्थ्य केन्द्र लाया गया जहां पर उसकी हालत को गंभीर देखते हुऐ उसे बिलासपुर सिम्स रेफर कर दिया गया।
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अब इनकी सुनिए
एटीआर में बाघ मौजूद है, अभी हाल ही में एक व्यक्ति के ऊपर हमला कर बता दिया कि बाघ की मौजूदगी हमेशा रहती है। हमले में घायल शिव सिंह को तत्काल 2 हजार रुपए अग्रिम मिल गया है। आगे प्रकरण के हिसाब से राशि दी जाएगी।
संदीप सिंह बल्गा, डीएफओ

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