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युवाओं ने की सराहना, चेंजमेकर अभियान से जुडऩे की मची होड़

इसमें ये स्पष्ट हो गया, कि छात्र सिर्फ बाहर बैठकर राजनीति की लानत-मलामत करने के पक्ष में नहीं हैं।

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बिलासपुर . वर्तमान राजनैतिक परिदृश्य में शुचिता और जिम्मेदारी को लेकर पत्रिका द्वारा चलाए जा रहे देशव्यापी चेंजमेकर अभियान के तहत बिलासपुर यूनिवर्सिटी में शनिवार को परिचर्चा आयोजित की गई। छात्रों से ना सिर्फ चेंजमेकर अभियान के संदर्भ में उनकी राय ली गई, बल्कि इस बिगड़े हालात में राजनैतिक परिदृश्य को सुधारने पर भी रायशुमारी की गई। इसमें ये स्पष्ट हो गया, कि छात्र सिर्फ बाहर बैठकर राजनीति की लानत-मलामत करने के पक्ष में नहीं हैं। अधिकांश छात्रों का कहना है हमें सक्रिय राजनीति का हिस्सा बनना ही होगा। तभी सुधार की कोई गुंजाइश है। चेंजमेकर अभियान से जुडऩे के लिए पत्रिका द्वारा उपलब्ध ऑनलाइन और ऑफलाइन फार्म भरकर शनिवार को 30 से अधिक छात्रों ने अपने इरादे साफ किए और कहा इस शानदार मुहिम की जितनी सराहा की जाए, कम है।
राजनीति में वोटरों का सिर्फ हो रहा इस्तेमाल : वर्तमान में वोटर सिर्फ एक इस्तेमाल की वस्तु बनकर रह गया है। एक बार वोट लो और जीतने के बाद पांच साल के लिए उसे मक्खी की तरह बाहर निकालकर फेंक दो। इसमें सुधार के लिए छात्रों को आगे आकर लीडरशीप या पीछे से सपोर्ट करना ही पडेगा। पत्रिका की चेंजमेकर अच्छी पहल है राजनीति में सुधार के लिए सक्रिय भूमिका निभाना चाहता हूं।
-मनीष शर्मा, पूर्व छात्र सचिव, बीयू
नेताओं का ट्रैक रिकार्ड अवश्य देखें: राजनीतिक बदलाव जरूरी है। इससे हम आगे बढ़ते हैं। चुनाव में वोट देने से पहल राजनेताओं का पिछला ट्रैक रिकार्ड अवश्य देखना चाहिए, ताकि पता चल सके कि जो वोट मांगने आ रहा है, आखिर उसकी मंशा क्या है। इसे परखने के बाद मौका दें। हम देखते हैं चुनाव आने से पहले नेता वादे तो लुभावने करते हैं, लेकिन बाद में मुकर जाते हैं।
-यजु तिवारी, छात्र नेता
राजनेताओं के लिए भी हो सेमेस्टर जैसी परीक्षा: जिस प्रकार छात्रों की क्षमता जांचने के लिए कॉलेज में सेमेस्टर या वार्षिक परीक्षा होती है। अच्छा होता, कि उसी प्रकार नेताओं के लिए भी कोई होती। इसमें पास होने के बाद ही नेताओं को वोट की राजनीति में आने का मौका मिलना चाहिए। अन्यथा उसे रिजेक्ट कर किसी अन्य को अवसर देना चाहिए।
-दीपिका शास्त्री, छात्रा
कानून का क्रियान्वयन गंभीरता हो : आज ज्यादातर कानून सही तरीके से क्रियान्वित नहीं हो पा रहे हैं। ऐसा नहीं है कि कानून में किसी प्रकार की कमी है। लेकिन जिम्मेदार लोग पालन नहीं करवा पा रहे राजनेताओं के लिए योग्यता तय होनी चाहिए। राजनेता कम पढ़ाई के बावजूद बड़े पदों पर पहुं जाते हैं, इससे राजनीति का स्तर गिरता है।
-युपेश कुमार, छात्र
बेटियां सुरक्षित नहीं: राजनीति पर हम फोकस करते हैं, लेकिन आज सबसे बड़ी समस्या बेटियों की सुरक्षा को लेकर है। घरवाले अपनी बेटियों को घर से बाहर भेजने में डरते हैं।ये घटनाएं कैंडल मार्च तक सीमित नहीं होनी चाहिए। व्यवस्था में सुधार जरूरी है।
-अंकित सिंह, छात्र
नोटा का विकल्प चुनना होगा: राजनीति में अगर अत्छा उम्मीदवार न मिले, तो नोटा का विकल्प चुनने से परहेज नहीं करना चाहिए। इससे नाकारे नेताओं को अच्छा सबक मिलेगा।
-शिवांगी गुप्ता, छात्रा
सिर्फ बुरा कहने से बात नहीं बनेगी: नदी के किनारे बैठकर गहराई का अंदाजा लगाना बेवकू्रफी है। उसी प्रकार राजनीति को बाहर से बूरा कहने से बात नहीं बनेगी। हमें इसमें उतरकर सुधार करना होगा।
-नेहा पाण्डेय, छात्रा
अब समय चेतने का: सभी के लिए अब समय चेतने का आ गया है। सोच-विचारकर निर्णय लेने से ही बात बनेगी।
पायल जैन, छात्रा