कॅरियर में अक्सर एक समय ऐसा भी आता है जब लगातार एक जैसा काम करते हुए कोफ्त होने लगती है। रोज एक सा शिड्यूल और बंधा-बंधाया रुटीन हमें नीरस लगने लगता है। रोज के ऑफिस वर्क में भी कुछ नया महसूस नहीं होता। इसलिए प्रोफेशनल्स सलाह देते हैं कि खुद को रिचार्ज करने के लिए अपने काम से साल में कुछ सप्ताह या कुछ दिनों के लिए ब्रेक लेना चाहिए। परिवार संग घूमें-फिरें, वक्त बिताएं और अपनी व्यक्तिगत जिंदगी को समय दें। इससे काम पर तरो-ताजा होकर वापस आएंगे तो काम की गुणवत्ता भी सुधरेगी।
हमें यह समझने कह जरुरत है कि काम और कॅरियर हमारी जिंदगी का एक हिस्सा है पूरी जिंदगी नहीं। व्यक्ति के लिए परिवार से बड़ा कोई सुख नहीं। ऐसे में अपने परिवार को समय देने का वक्त अवश्य निकालें। एक समय पर हम सभी लोग अपने प्रोफेशन से जुड़े लोगों के ज्यादा करीब हो जाते हैं और इस प्रक्रिया में हम अपने रिश्तेदारों और दोस्तों से दूर होते जाते हैं। इसीलिए काम से ब्रेक लेकर अपने घर से मिले इन रिश्तों को सहेजना भी बेहद जरूरी है। काम से लिया एक ब्रेक हमें फिर से अपनी पुरानी सामाजिक जिंदगी से जोड़ देता है जिससे हमारी क्षमता और कुशलता में भी बदलाव आता है।
जिंदगी निभाने और समझौते का नाम है। अक्सर आर्थिक कारणों सेपरिवार की जिम्मेदारी उठाने के लिए हम वो काम भी कर रहे होते हैं जो हमें निजी तौर पर पसंद नहीं होता या हमारी पहली प्राथमिकता नहीं होता। लेकिन हैरानी की बात तो यह है कि हम इसी नापसंद काम को करने में इतने व्यस्त हो जाते हैं कि हमें किसी दूसरे काम के बारे में सोचने का समय ही नहीं मिलता। लेकिन अक्सर एक-दो हफ्ते के लिए काम से लिया ब्रेक हमें नए नजरिएसे इन बातों पर विचार करने का समय देता है। इसलिए खुद की क्षमता और अवसरों की खातिर खुद को कसौटी पर परखना भी चाहिए।
काम हमारे लिए रोजी-रोटी का साधन है लेकिन वह साध्य नहीं है। जिंदगी में और भी बहुत से पहलू हैं जिन पर विचार करना उन्हें पोषित करना और प्रबंधनभी हमें ही करना होता है। जब हम काम से कुछ समय का ब्रेक लेते हैं तो इन सामाजिक और पारिवारिक पहलुओं पर नजर डालने, भविष्य की योजना बनाने और काम के बोझ से खुद को कुछ दिन मुक्त करने का समय मिल जाता है। कई बार ये कुछ दिनों के ब्रेक ही हमारी जिंदगी की नई शुरुआत की आधारशिला बनते हैं।
सालों की मेहनत और बहुत सी कीमतें चुकाकर कोई अपने कॅरियर में एक मुकाम तक पहुंचता है। उसे एक झटके में ठुकराकर नई राह चुनना आसान काम नहीं है। कई बार ऐन मौके पर निर्णय बदल जाते हैं। ऐसे में एक लंबा ब्रेक लेकर जब हम इन सभी बातों पर सोच-विचार करते हें तो हमें पता चलता है कि वासतव में हमारा दिल क्या चाहता है। काम के बीच ये अंतराल हमें निर्णय लेने में सक्षम बनाते हैं। परिस्थितियों का साफ-साफ जायजा लेने और स्पष्ट हो निर्णय लेने के लिए भी यह ब्रेक्स बेहद कारगर होते हैं।