मेडिकल टैस्ट डॉक्टर्स डायग्नोसिस: कल्चर टैस्ट बताता रोग का कीटाणु
जयपुरPublished: May 31, 2019 11:59:00 am
किसी भी तरह की ऐसी वायरल या बैक्टीरियल बीमारी जिसमें इस बात का पता न चल पाए कि किस वायरस, बैक्टीरिया, फंगस जैसे सूक्ष्म किटाणुओं के कारण व्यक्ति रोगग्रसित हुआ, जानने के लिए कल्चर टैस्ट करते हैं। इससे कौनसी दवा रोग के विरुद्ध काम करेगी की जानकारी मिलती है।
किसे जरूरत
यूरिन टैक्ट इंफेक्शन, निमोनिया, मेनिनजाइटिस, टीबी आदि रोगों में इस टैस्ट को करवाने की सलाह दी जाती है। इसके अलावा जिन्हें यूरिन न रोक पाने, यूरिन करते समय जलन होने, पेट के निचले हिस्से में दर्द, गले का इंफेक्शन, प्रोस्टेट व किडनी से जुड़ी समस्या वाले मरीज, गर्भवती महिलाएं, कमजोर रोग प्रतिरोधक क्षमता वाले मरीजों में रोग के सही कारण को जानने के लिए यह टैस्ट करवाया जाता हैं।
सैंपल के समय सावधानी
इस टैस्ट के लिए सैंपल देते समय और उससे पहले सावधानी बरतना जरूरी होता है। जैसे यूरिन टैस्ट के लिए मिड टर्म सैंपल देना होता है। थोड़ा यूरिन टॉयलेट में जाने के बाद का यूरिन स्टेरीलाइज्ड कंटेनर में रखें। शीशी को अच्छे से बंद करें। महिलाएं माहवारी की जानकारी डॉक्टर को टैस्ट से पहले जरूर दें। यूरिन के अलावा ब्लड, स्टूल और लार के सैंपल के जरिए भी यह टैस्ट किया जाता है।
24 घंटे से हफ्तेभर में आती रिपोर्ट
टैस्ट में 24 से 48 घंटे के अलावा कई बार हफ्तेभर का समय भी लगता है। वहीं फंगस के लिए 21 और टीबी टैस्ट के लिए 60 दिन तक का समय लग सकता है। टैस्ट से पहले बैक्टीरिया को लैब में विकसित कर ऑटोमेटेड बैक्टीरियल आइडेंटिफिकेशन से बैक्टीरिया की पहचान, आकार और संख्या का पता लगाते हैं। इसके बाद बैक्टीरिया पर एंटीमाइक्रोबियल परीक्षण होता है जिसमें पता चला है कि कौनसी एंटीबायोटिक्स उसे मार सकती है। रिपोर्ट में दवा और उसके डोज की जानकारी मिलती है जिसके आधार पर डॉक्टर लक्षण व मरीज की अवस्थानुसार दवा देते हैं।
डॉ. आरके मिश्रा, माइक्रोबायोलॉजी विशेषज्ञ