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बॉडी एंड सॉल

जिंदगी से न हारें, लड़ने वाले ही जीतते हैं

आंकड़े बताते हैं कि आत्महत्या या आत्महत्या का प्रयास करने वालों में 90 प्रतिशत मनोरोगी होते हैं। करीब 70 फीसदी आत्महत्याएं अवसाद के कारण होती हैं। इसके कारणों में सामाजिक, आर्थिक व मेडिकल से जुड़ी बातें भी शामिल हैं।

Nov 17, 2019 / 05:45 pm

Ramesh Singh

depression

भारत में 25.6 फीसदी लोग पारिवारिक कलह के कारण खुद की जिंदगी को जोखिम में डालते हैं। कुछ मामलों में 20 प्रतिशत गंभीर रोग से पीडि़त व्यक्ति, परीक्षा में विफल विद्यार्थी, खराब आर्थिक स्थिति व बेरोजगारी भी मुख्य वजह बनकर उभरती है। नशीले पदार्थों की लत वालों में सुसाइड की आशंका होती है।
हमेशा थकान महसूस करना
मनोरंजन वाली चीजों में आनंद न लेना या दूर भागना। हमेशा थकान महसूस करना, काम करने की इच्छा न होना, निर्णय न ले पाना या असमंजस की स्थिति में रहना व खानपान की आदतों में अचानक बदलाव प्रारंभिक लक्षण हैं। बात-बात में आत्महत्या के लिए धमकी देना व नाराज होना। अचानक से किसी बात पर रोना या स्वभाव में चिड़चिड़ापन, गुस्सा या अकेले रहने का मन, नींद न आना व स्लीपिंग पैटर्न में बदलाव व्यक्ति के लिए नकारात्मक संकेत हैं।

आसपास के लोगों से बात करें

पेरेंट्स बच्चे को उसकी रुची व मानसिक स्तर के अनुसार कॅरियर चुनने का मौका दें। दबाव न डालें। कम उम्र में कई बार बच्चे अपनी पढ़ाई के बारे में सही निर्णय नहीं ले पाते, ऐसे में यदि कोई विद्यार्थी अपनी पढ़ाई छोड़कर किसी अन्य कोर्स में दाखिला लेना चाहे तो उसे कम से कम एक बार ऐसा करने का मौका दें। सकारात्मक सोच रखें और प्रेरणादायी लेख व किताबें पढ़ें। अपने आसपास के लोगों से बात करें, उनकी चिंताएं व समस्याएं सुनने के लिए समय निकालें। परिवार के बुजुर्गों का सम्मान और देखरेख जरूरी है, वहीं परम्पराओं व संस्कृति के नाम पर युवाओं, खासकर महिलाओं की इच्छाओं को नजरअंदाज न करें।

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