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क्या आप जानते हैं बच्चे की डिलीवरी के वक्त दो टॉवल रखने की सलाह क्यों देते हैं डॉक्टर?

ब्रेन की हीट से पूरे शरीर का तापमान नियंत्रित होता है। जन्म के बाद नए वातावरण में बच्चे का हाइपो थैलेमस सही ढंग से कार्य नहीं करता है इसलिए शरीर के तापमान को कंट्रोल करने की दिक्कत आती है।

जयपुरMar 29, 2019 / 04:19 pm

Jitendra Rangey

pregnancy care

क्या आप जानते हैं बच्चे की डिलीवरी के वक्त दो टॉवल रखने की सलाह क्यों देते हैं डॉक्टर?

सूखे-गर्म टॉवल में शिशु को लपेटने की वजह
गर्भ और जन्म के बाद के वातावरण में बदलाव से शिशु के शरीर का तापमान सामान्य बनाए रखना बड़ी चुनौती होता है। इसके लिए प्रसव कराने वालों को दो टॉवल के इस्तेमाल की सलाह दी जाती है। डिलीवरी से पहले इन दोनों टॉवल को हल्के गुनगुने निवाए पानी में ेंडालकर निकाल लें। प्रसव के बाद शिशु को एक टॉवल से पौंछा जाता है और दूसरे से लपेटकर रखा जाता है। पौंछने वाले टॉवल को इस्तेमाल के बाद फेंकना होता है। टॉवल में लपेटकर रखने से शिशु के शरीर की उष्मा बनी रहती है और सूखे-गर्म टावल में लपेटकर ही उसे मां को सौंप दिया जाता है। जन्म के 24 घंटे बाद तक शिशु को नहलाना नहीं चाहिए, न ही सफाई के नाम पर उसे ज्यादा पौंछें। उसके शरीर पर सफेद रंग का पदार्थ चिपका रहता है। इसे हटाने की कोशिश न करें क्योंकि यह शिशु के लिए फायदेमंद होता है। यह एक तरह से बच्चे की कुदरती उष्मा को शरीर से बाहर आने से रोकता है। 24 घंटे तक किसी तरह की हॉट वाटर बॉटल या हीटर के सामने न रखें। इससे बच्चे की कोमल त्वचा झुलस जाएगी।
मम्मी-पापा, दादी-बुआ कोई भी शिशु को छाती से लगाएंगे तो यह होगा असर

मां के अलावा पिता, दादी, बुआ या कोई भी अटेंडेंट भी शिशु को अपनी छाती से लगाकर रख सकते हैं। इससे भी शिशु के सामान्य तापमान को बरकरार रखने में मदद मिलती है क्योंकि छाती का तापमान बायोलॉजिकली नॉर्मल होता है।

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