उन्होंने कहा, “कोरोना का फैलाव रोकने के लिए जरूरी है कि आप घर में रहकर देश और समाज के लिए योगदान दें। यह अनंत काल की समस्या नहीं है। यह जल्द ही खत्म हो जाएगा। लॉकडाउन के वक्त को छुट्टी की तरह इस्तेमाल करें। पति-पत्नी एक दूसरे को वक्त दें। बच्चों के साथ खेलें। समय बचे तो भविष्य की प्लानिंग करें। इसके साथ ही दौड़ती-भागती जिंदगी में एकाएक आए ठहराव का असर किसी के भी आचार-व्यवहार में साफ देखा जा सकता है। ऐसे ही समय में लोगों के धैर्य की असली परीक्षा होती है।
डॉ. सिद्दीकी ने कहा, “इस समय अपनी बदली दिनचर्या में कुछ समय अपने शुभचिंतकों से फोन के जरिये जुड़कर भी पुरानी यादों को ताजा करने के साथ ही संबंधों को फिर से एक ताजगी दे सकते हैं। इसके लिए भी सावधानी बरतने की जरूरत है कि एक दूसरे से फोन पर भी बात करते समय सिर्फ और सिर्फ कोरोना वायरस के खतरों के बारे में वार्तालाप न करें। उन्होंने कहा, “अखबार-टीवी में और आस-पड़ोस में लोग सिर्फ कोरोना के बारे में बातें करते रहते हैं, जिसे सुन-सुन कर हम ऊब जाते हैं, इसलिए कुछ समय के लिए इससे हटकर बात करने की जरूरत है।”
मनोचिकित्सक ने कहा कि कोरोना वायरस के संक्रमण से बचाव का मूलमंत्र जरूरी सावधानी बरतने के साथ ही सोशल डिस्टेनशिंग (सामाजिक दूरी) को बरकरार रखना है। इसके लिए जरूरी है कि जब तक वायरस का खतरा बरकरार है, तब तक न तो किसी के घर जाएं और न ही किसी को अपने घर पर बुलाएं। अगर आस-पड़ोस में किसी से बात करना बहुत ही जरूरी हो तो एक मीटर की दूरी बनाए रखें।