इस पुस्टिस में जड़ी-बूटियों से तैयार पोटली से शरीर की मालिश की जाती है। दर्द निवारक होने के साथ इससे मांसपेशियों की अकडऩ व ऐंठन, स्पॉन्डिलाइटिस, जोड़दर्द, ऑस्टियोआर्थराइटिस और वात से जुड़े दर्द व समस्या आदि में आराम मिलता है। इस प्रक्रिया में जड़ी-बूटियों के चूर्ण व रस को मरीज की प्रकृति के हिसाब से उचित मात्रा में लेकर एक लेनन या सूती कपड़े में भरकर एक पोटली का रूप दे देते हैं। फिर पोटली को औषधिय तेल में सहने योग्य गर्म कर त्वचा पर रखते हैं। इससे विषैले तत्त्व बाहर निकलने से दर्द में आराम होता है।
सूजन, दर्द और घाव के लिए पुल्टिस के विभिन्न प्रकारों में राई की पुल्टिस बनाकर प्रभावित जगह पर इसका सेक करने से लाभ होता है। इसके लिए राई को भूनकर व पीसकर प्रयोग में लें।
राई को महीन पीस लें। पेस्ट बनाकर एरंड के पत्तों पर लेप के रूप में लगा दें। इसे दर्द वाले हिस्से या सूजन वाली जगह लगाएं। जोड़दर्द में भी लाभदायक। ऐसा हफ्ते में 3-4 बार कर सकते हैं।
1-2 चम्मच अलसी के तेल में नमक और हल्दी को मिलाकर पुल्टिस बना लें और उससे चोट के कारण आई सूजन व दर्द वाले स्थान पर रखकर सिकाई करें। राहत मिलेगी। लहसुन पुल्टिस
लहसुन पीसकर पुल्टिस बांधने से गठिया, सायटिका तथा विभिन्न प्रकार के त्वचा रोग दूर हो जाते हैं। चोट या सूजन वाले हिस्से पर इस पुल्टिस को 5 – 10 मिनट के लिए रखने पर कुष्ठ रोग तक दूर होने में मदद मिलती है। इसके लिए ताजे लहसुन का प्रयोग करें।
चोट या किसी कारण से अंग या इसके आसपास आई सूजन को दूर करने और घाव को भरने में अजवाइन को पीसकर बनाई गई पुल्टिस फायदेमंद है।