
मरीज की अवस्था और रोग की स्थिति व गंभीरता के आधार पर होम्योपैथी दवा असर करती है।
मरीज की अवस्था और रोग की स्थिति व गंभीरता के आधार पर होम्योपैथी दवा असर करती है। इसके अलावा दवा का असर तब ही होता है जब मरीज इन्हें डॉक्टर द्वारा बताए गए समय के अंतराल तक लेता रहे। जैसे क्रॉनिक (पुरानी) रोगों में नियमित दवा लेने से रिकवरी जल्दी होती है।
ये हैं नुकसान -
त्वचा, आर्थराइटिस, अस्थमा जैसे क्रॉनिक रोगों में दवा रेगुलर लेनी चाहिए वर्ना डोज में गैप की वजह से इलाज की अवधि भी बढ़ जाती है। होम्योपैथी दवा रोग की जड़ का पता लगाकर असर करती है, ऐसे में गंभीर बीमारियों में ये दवाएं जड़ से इलाज करना शुरू करती हैं। इसलिए कुछ मरीजों को दवा का असर पता नहीं चल पाता और वे दवा लेना बंद कर देते हैं या समय पर नहीं लेते। इससे कुछ समय तक जितना असर दवा से होता है वह स्थायी बन जाता है और धीरे-धीरे स्थिति कुछ समय बाद पहले जैसी होने लगती है। यदि गैप कुछ दिनों का हो तो ज्यादा फर्क नहीं पड़ता, दोबारा दवा लेना शुरू करने पर रिकवरी होने लगती है।
नहीं होता दुष्प्रभाव -
यह भ्रम है कि होम्योपैथी दवा के दुष्प्रभाव होते हैं। बिना डॉक्टरी सलाह के दवा लेने पर ऐसी स्थिति बनती है जिसमें व्यक्ति में कृत्रिम लक्षण दिखाई देने लगते हैं। जैसे बिना डॉक्टर से पूछे बुखार की दवा ली जाए तो समस्या कम होने की बजाय बढ़ सकती है। साथ ही जिस रोग के लिए आमतौर पर वह दवा दी जाती है उसके लक्षण भी व्यक्ति को महसूस होने लगते हैं। रोग की मूल वजह व लक्षण के अलावा मरीज का स्वभाव, आदतें, गतिविधियां आदि को आधार मानने के बाद ही डॉक्टर उचित दवा का निर्धारण करते हैं। इसलिए विशेषज्ञ की सलाह के बिना किसी भी प्रकार की दवा नहीं लेनी चाहिए।
Published on:
30 May 2019 02:24 pm
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