scriptरोड एक्सीडेंट के बाद गंभीर चोट में रखें इन बातों का ध्यान | Keep these things in mind after a road accident | Patrika News

रोड एक्सीडेंट के बाद गंभीर चोट में रखें इन बातों का ध्यान

locationजयपुरPublished: Sep 01, 2019 02:28:28 pm

सड़क हादसे के दौरान किसी व्यक्ति को अस्पताल ले जाने से पहले एबीसी (एयरवे यानी सांस ले रहा है या नहीं, ब्रीदिंग यानी सीना फूल रहा है या नहीं व सर्कुलेशन यानी हार्ट पंप कर रहा है या नहीं) देखें। फ्रैक्चर है तो तख्ता लगाकर पैर सीधा करें।

रोड एक्सीडेंट के बाद गंभीर चोट में रखें इन बातों का ध्यान

सड़क हादसे के दौरान किसी व्यक्ति को अस्पताल ले जाने से पहले एबीसी (एयरवे यानी सांस ले रहा है या नहीं, ब्रीदिंग यानी सीना फूल रहा है या नहीं व सर्कुलेशन यानी हार्ट पंप कर रहा है या नहीं) देखें। फ्रैक्चर है तो तख्ता लगाकर पैर सीधा करें।

भारत में हर साल बड़ी संख्या में लोगों की मृत्यु सड़क हादसों में हो जाती है। जिसका कारण समय पर उचित इलाज न मिलना है। ज्यादातर आंकड़ें युवाओं के आते हैं। इनमें सिर फटने, अधिक रक्तस्त्राव होने या फिर हाथ-पैर या अन्य भाग की हड्डी टूटने के मामले ज्यादा हैं।

दर्द दूर करने में फिजियोथैरेपी मददगार –
प्रभावित हिस्से पर लगी चोट और उसकी गंभीरता के आधार पर फिजियोथैरेपी देते हैं। इस थैरेपी में मांसपेशियों की स्ट्रेंथ बढ़ाने और हड्डियों को जोड़े रखने पर काम होता है। एक्यूपंचर, इलेक्ट्रिकल सिमुलेशन और गर्म व ठंडा सेक करते हैं। उठने, बैठने व सोने के सही तरीकों के बारे में बताते हैं। मसाज, शॉक वेव, जॉइंट मोबिलाइजेशन से दर्द दूर करते हैं। हफ्ते या दस दिन में मांसपेशियों में आई चोट में सुधार होने लगता है।

एबीसी जांच कर अस्पताल ले जाएं –
सड़क हादसे के दौरान किसी व्यक्ति को अस्पताल ले जाने से पहले एबीसी (एयरवे यानी सांस ले रहा है या नहीं, ब्रीदिंग यानी सीना फूल रहा है या नहीं व सर्कुलेशन यानी हार्ट पंप कर रहा है या नहीं) देखें। फ्रैक्चर है तो तख्ता लगाकर पैर सीधा करें।

दो प्रकार के फ्रैक्चर –
किसी भी एक्सीडेंट में दो तरह के फ्रैक्चर होते हैं। ओपन व क्लोज। बाहरी रूप से चोट लगने या घाव होने के साथ हड्डी बाहर निकलने से ओपन फ्रैक्चर खतरनाक है। वहीं क्लोज फ्रैक्चर में केवल हड्डी टूटती है मांसपेशी को ज्यादा नुकसान नहीं होता। ओपन में संक्रमण का खतरा रहता है जिसका लंबा इलाज चलता है। इसमें कई बार प्लेट (रॉड) लगाने की जरूरत पड़ती है। इसमें फिजियोथैरेपी भी अधिक समय तक देने की जरूरत होती है।

ये ध्यान रखें –
किसी भी फै्रक्चर को ठीक होने में लगभग तीन महीने का समय लगता है। ऐसे में यदि पैर में फ्रैक्चर हुआ है तो उसपर वजन न डालें। हाथ में है तो उससे कोई वजन न उठाएं। मरीज को ज्यादा हिलाएं-डुलाएं नहीं, समस्या बढ़ सकती है। प्रभावित जोड़ या अंग का हल्का मूवमेंट करें।

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