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रक्तदान करते व रक्त चढ़वाते समय रखें इन बातों का ध्यान

गर्भावस्था या माहवारी के दौरान महिलाएं रक्तदान न करें।

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जयपुर

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Vikas Gupta

May 30, 2019

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गर्भावस्था या माहवारी के दौरान महिलाएं रक्तदान न करें।

रक्तदाता : कोई बीमारी न छिपाएं -

भरे जाने वाले फॉर्म में सभी जानकारी सही भरें। जैसे पिछले कुछ दिनों या सालों में हुई किसी तरह की बीमारी, चोट, हादसे या सर्जरी आदि।
खाली पेट के बजाय नाश्ता करने के बाद ब्लड डोनेट करें।
दाता की उम्र 18-65 वर्ष के बीच हो।
वजन 48 किलोग्राम से कम न हो।
जिन्होंने पिछले तीन माह से रक्तदान न किया हो।
रक्त में हीमोग्लोबिन की मात्रा 12.5 से अधिक और हिमैटोक्रिट की मात्रा पुरुषों में 45% व महिलाओं में 40% हो या एड्स, पीलिया (विशेषकर हेपेटाइटिस-बी और सी संक्रमण), सिफलिस, मलेरिया, क्षय रोग आदि से पीड़ित न हो।
गर्भावस्था या माहवारी के दौरान महिलाएं रक्तदान न करें।

रक्तचढ़वाते समय :
रिएक्शन हो तो तुरंत बताएं -
यदि मरीज को ब्लड ग्रुप या क्रॉस मैचिंग के अनुसार रक्त न चढ़ाया जाए तो उसे 204 मिनट में सर्दी लगने, शरीर पर लाल चकत्ते उभरने, उल्टी, सिरदर्द, चक्कर, घबराहट जैसी परेशानियां हो सकती हैंं। ऐसे में विशेषज्ञ ब्लड चढ़ाना तुरंत बंद कर मरीज को एंटीरिएक्शन इंजेक्शन और एंटीफैब्रिक दवाएं देते हैं। इससे 30 मिनट में ही हालत में सुधार होने लगता है।

रक्तदान के बाद :

कर सकते हैं रोजमर्रा के काम
ब्लड डोनेशन के 5-10मिनट के बाद व्यक्ति रोजमर्रा के काम कर सकता है।
रक्तदान के 3-5 मिनट के बीच जहां से रक्त निकाला गया है वहां से ब्लड निकलना बंद हो जाता है। लेकिन ब्लीडिंग बंद न हो तो हाथ को कोहनी से मोड़कर रखें, रुकने के बाद ही सीधा करें। प्रभावित हिस्से पर सूजन आने व नीला पड़ने पर ठंडा सेंक करें।
रक्त की एक यूनिट में 350 या 450 मिलीलीटर रक्त लिया जाता है जिसकी पूर्ति शरीर खुद कर लेता है।
रक्तदान के बाद जूस, नारियल पानी लेने से आराम मिलता है।