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बढ़ती उम्र के बच्चों के लिए जान लें ये जरूरी बातें

locationजयपुरPublished: Jun 14, 2019 02:31:37 pm

लड़़कियों में 10-14 साल की उम्र में एस्ट्रोजन और लड़कों में 12-16 साल की उम्र में टेस्टोस्टेरॉन हार्मोन रिलीज होना शुरू हो जाते हैं।

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लड़़कियों में 10-14 साल की उम्र में एस्ट्रोजन और लड़कों में 12-16 साल की उम्र में टेस्टोस्टेरॉन हार्मोन रिलीज होना शुरू हो जाते हैं।

आमतौर पर 10-15 साल के बीच की उम्र बच्चे के शरीर में कई बदलाव लाती है। इसे किशोरावस्था (प्युबर्टी) कहते हैं। जिसमें तीन मुख्य बदलाव होते हैं- सेक्शुअल मैचुरेशन, ग्रोथ और साइकोलॉजिकल डवलपमेंट। इनमें लंबाई, वजन, सोच, व्यवहार, हार्मोंस का स्त्रावण और शारीरिक संरचना जैसे बदलाव शामिल हैं। इस दौरान बच्चे की पर्सनेलिटी भी डवलप होती है। जिसमें वह बात करने, चलने, रहने, बैठने आदि तौर-तरीके सीखता है।

हार्मोंस की भूमिका-
इस उम्र में सबसे अहम हार्मोंस रिलीज होते हैं। सामान्यत: लड़़कियों में 10-14 साल की उम्र में एस्ट्रोजन और लड़कों में 12-16 साल की उम्र में टेस्टोस्टेरॉन हार्मोन रिलीज होना शुरू हो जाते हैं। ऐसे में युवतियों में माहवारी शुरू होना और लड़कों में दाढ़ी के बाल आना और आवाज में बदलाव प्युबर्टी के पहले लक्षण होते हैं।

शरीर में एक्सट्रा कैलोरी की जरूरत-
प्युबर्टी के दौरान शरीर में इंसुलिन रेसिस्टेंस बढऩे के साथ ही ग्रोथ हार्मोन (सोमाटोट्रॉपिन), सेक्शुअल हार्मोन (एलएच-एफएसएच -ल्युटिनाइजिंग हार्मोन और फॉलिकल स्टीमुलेटिंग) का सीक्रेशन भी तेजी से होने लगता है जिसके लिए शरीर को एनर्जी की जरूरत होती है। ऐसे में बच्चे के शरीर में पौष्टिक खानपान के जरिए कैलोरी की पूर्ति करनी होती है। साथ ही कैलोरी की अधिकता भी हानिकारक होती है जिसके लिए वर्कआउट अहम है।

माहौल विकसित करता समझ-
शाारीरिक विकास के साथ बच्चे के मानसिक विकास में भी परिपक्वता आती है। ऐसे में उसकी सोचने-समझने की क्षमता बढ़ती है और बच्चा उम्र के अनुसार पढ़ाई व बर्ताव को लेकर जिम्मेदारी का अहसास करने लगता है। इसमें घर, स्कूल या जिनके बीच बच्चा रहता है वहां का वातावरण भी इस समझ को विकसित करने में मदद करता है।

सतर्कता बरतें : बर्ताव अलग न हो –
लड़कियों में 8 साल से पहले माहवारी (प्रीमेच्योर मेन्सट्रएशन) या 14 साल के बाद मासिक चक्र शुरू होना गंभीरता के संकेत हैं। बच्चे का व्यवहार असामान्य (किसी से बात न करना, अचानक रोना, अकेले रहना, गुस्सा करने) होने पर विशेषज्ञ को दिखाएं। कई बार बच्चों में प्युबर्टी शुरू न होने या इसके आगे न बढऩे, ग्रोथ न होने व थायरॉइड ग्रंथि के फूलने की दिक्कतें हो सकती हैं।

प्रोटीन रिच डाइट शामिल करें-
इस उम्र में हड्डियों, मांसपेशियों और हर अंग को बेहतर कार्य करने के लिए पोषण की जरूरत होती है। इन्हें खून की पूर्ति के लिए आयरनयुक्त बींस, हरी पत्तेदार सब्जियां, प्रोटीनयुक्त दाल, सोयाबीन, अंडे, चिकन, कैल्शियमयुक्त दूध, पनीर, दही व दूध से बने अन्य पदार्थ, फॉलेटयुक्त अनाज, चावल खिलाना चाहिए। मौसमी फलों और सूखे मेवों को भी डाइट में शामिल करना चाहिए।

फिजिकल एक्टिविटी से फुर्ती-
हड्डियों और मांसपेशियों को लचीला बनाए रखने और एक्टिवनेस के लिए बच्चे को इंडोर के साथ आउटडोर एक्टिविटी के लिए प्रेरित करना चाहिए। माता-पिता बच्चे को सुबह या शाम कम से कम 30-40 मिनट के लिए पार्क आदि में ले जा सकते हैं।

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