गर्भधारण के 4 माह-
आइवीएफ तकनीक से मां बनने की प्रक्रिया गर्मी के मौसम मई, जून, जुलाई और अगस्त माह में करवाना ठीक रहता है। इस मौसम में गर्भधारण के लिए शरीर के भीतर सभी तरह के बदलाव देखने को मिलते हैं जिसका सीधा लाभ गर्भधारण में मिलता है। आइवीएफ में गोनाडोट्रोफिन हार्मोन की जरूरत पड़ती है जिससे अंडाणु का निर्माण अच्छे से होता है।
सावधानी बरतें –
कृत्रिम गर्भाधान के दौरान महिलाओं को अपनी सेहत का खास खयाल रखना चाहिए। रात में सात से आठ घंटे और दिन में दो घंटे की नींद जरूरी है जिससे शरीर में ऊर्जा बनी रहे। बहुत अधिक देर तक बैठना या खड़े रहना ठीक नहीं है। इससे रक्त संचार प्रभावित होता है। पानी नियमित पीते रहना चाहिए। पानी की कमी से चक्कर और कमजोरी का खतरा रहता है।
ये हॉर्मोन बढ़ाता प्रजनन क्षमता – मेलाटोनिन हार्मोन महिलाओं की प्रजनन क्षमता को बढ़ाता है। ये हार्मोन गर्मी के मौसम में महिलाओं के शरीर में मौजूद प्रजनन टिश्यू को सक्रिय करता है। इससे गर्मियों में पनपने वाले भ्रूण को सर्दी का सामना करने से पहले छह महीने का समय मां के गर्भ में रहने का मौका मिल जाता है और शिशु का बेहतर विकास होता है। मेलाटोनिन हॉर्मोन नींद के लिए भी जरूरी है।
कैल्शियम जरूरी – गर्भधारण आईवीएफ से हो या सामान्य तरह से। महिला को खानपान में विटामिन-डी की पर्याप्त मात्रा लेनी चाहिए। गर्भवती में कैल्शियम का स्तर बेहतर रहेगा तो शिशु के दांत और हड्डियों का विकास बेहतर ढंग से होता है। विटामिन डी की कमी से गर्भवती को जेस्टेशनल डायबिटीज का खतरा होता है।