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जानिए जॉब से होने वाली ऑक्यूपेशनल डिजीज के बारे में

डॉक्टर्स का मानना है कि प्राइवेट सेक्टर में काम करने वाले 60-70 प्रतिशत लोग रक्तचाप, मधुमेह, गर्दन व पीठ दर्द की समस्या से परेशान हैं।

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जयपुर

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Vikas Gupta

Oct 18, 2018

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डॉक्टर्स का मानना है कि प्राइवेट सेक्टर में काम करने वाले 60-70 प्रतिशत लोग रक्तचाप, मधुमेह, गर्दन व पीठ दर्द की समस्या से परेशान हैं।

ऑक्यूपेशनल डिजीज यानी नौकरी की वजह से होने वाली बीमारियां लोगों में तेजी से बढ़ रही हैं। अनिद्रा और तनाव से लेकर हृदय रोग, सर्वाइकल स्पॉन्डिलाइटिस और टाइप टू डायबिटीज जैसी समस्याएं भी युवाओं को हो रही हैं। एक्सपर्ट्स इसकी वजह काम का दबाव, नाइट शिफ्ट में काम करना और वर्किंग ऑवर्स बहुत ज्यादा होना मानते हैं। डॉक्टर्स का मानना है कि प्राइवेट सेक्टर में काम करने वाले 60-70 प्रतिशत लोग रक्तचाप, मधुमेह, गर्दन व पीठ दर्द की समस्या से परेशान हैं।

इन्हें अपनाएं
हर एक घंटे में उठकर पांच मिनट टहलना चाहिए। ब्रेक में आंखों और शरीर को आराम दें।
तैलीय या ज्यादा मसालेदार खाने से बचें। चाय, कॉफी का कम से कम सेवन करें।
तरोताजा महसूस करने के लिए ज्यादा से ज्यादा पानी पीएं।
समय समय पर मेडिकल चेकअप कराते रहें।
बैठने की स्थिति ठीक हो। लंच करने से पहले आंख, गर्दन, कंधे और श्वसन संबंधी छोटे-छोटे व्यायाम करें।
ऐसे दोस्तों का ग्रुप बनाएं, जिनसे आप खुलकर बात कर सकें। हमेशा सकारात्मक रहें।
कोई भी परफेक्ट नहीं होता, इसलिए टारगेट पूरा ना होने पर तनाव ना लें।

ये हैं ऑक्यूपेशनल डिजीज
हायपरटेंशन, हार्ट अटैक
कंप्यूटर विजन सिंड्रोम
अनिद्रा
टाइप टू डायबिटीज
सर्वाइकल स्पॉन्डिलाइटिस
डिप्रेशन, स्टे्रस
गर्दन और पीठ में दर्द
बहरापन
मोटापा
हाई कॉलेस्ट्रॉल

ये हैं वजह-
6 घंटे से कम नींद लेना,जॉब में कॉम्पिटिशन, टारगेटेड वर्क, काम का तनाव, व्यायाम ना करना, लाइफ स्टाइल में बदलाव, धूम्रपान व खान-पान में अनियमितता ऑक्यूपेशनल डिजीज के कारण हैं।

ज्यादा वर्कलोड-
प्राइवेट ऑफिसों में काम करने वाले 70 प्रतिशत लोगों को ऑक्यूपेशनल डिजीज हैं। निजी क्षेत्र में काम करने वालो का औसत समय 12 घंटे है। प्राइवेट ऑफिसों में काम करने वाले घर पहुंचने के बाद भी वे मोबाइल और लैपटॉप पर काम निपटाते रहते हैं। सरकारी और निजी क्षेत्र दोनों जगह डीस्ट्रेस करने की फैसेलिटी और ईयरली मेडिकल चेकअप जरूर होना चाहिए।

नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ ऑक्यूपेशनल सेफ्टी एंड हैल्थ ने 10 मुख्य कार्य संबंधी बीमारियों में कार्डियो वेस्क्युलर डिजीज और साइकोलॉजिकल डिसऑर्डर को शामिल किया है। पीपीसी वल्र्ड (कर्मचारियों से जुड़ी संस्था) के मुताबिक नौकरी पेशा लोगों को नींद की समस्या का आंकड़ा ज्यादा है। नाइट शिफ्ट में काम करने वाले कर्मी शिफ्ट वर्क स्लीप डिसऑर्डर यानी अनिद्रा का शिकार हैं, जिससे वे तनाव और चिड़चिड़ापन के शिकार होते हैं। एसोचैम के सर्वे के मुताबिक प्राइवेट सेक्टर में बड़ी संख्या में कर्मचारी हाई ब्लडप्रेशर और डायबिटीज से जूझ रहे हैं।