
World mental health day
वाराणसी. भाग-दौड़ भरी जिंदगी ने सभी को बीमार बना दिया है। आधुनिक जीवनशैली के चलते मानसिक रोगियों की संख्या में तेजी से इजाफा हो रहा है। हर दूसरा व्यक्ति किसी ने किसी मानसिक रोग से पीडि़त है। चिंता, थकान, अनिद्रा, अवसाद, स्मृतिनाश, माइग्रेन आदि बीमारी से कम ही लोग बचे होगे। मानसिक विकारों के लिए आयुर्वेद बड़ी उम्मीद बन कर उभर रहा है। पांच हजार साल से पंचकर्म के जरिए मानसिक विकारों का सबसे सटीक इलाज किया जाता है।
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चौकाघाट स्थित राजकीय आयुर्वेद महाविद्यालय व चिकित्सालय के डा.अजय गुप्ता ने कहा कि आम तौर पर लोग मॉर्डन मेडीसीन पर अधिक भरोसा करते हैं इन दवाओं का साइड इफेक्ट बहुत होता है जिसका असर शरीर पर ही पड़ता है। आयुर्वेद ऐसी चिकित्सा पद्धति है जो शरीर को नुकसान पहुंचाये ही बड़ी से बड़ी बीमारी का इलाज करता है। मानसिक रोगों के लिए भी आयुर्वेद रामबाण है। डा.गुप्ता ने कहा कि शिरोबस्ति और शिरोधारा से मानसिक विकार ठीक किये जाते हैं।
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जानिए क्या है शिरोबस्ति और शिरोधारा:-
डा.अजय गुप्ता ने बताया कि शिरोबस्ति और शिरोधारा का अर्थ सिर व धारा होता है। आयुर्वेद में इसे बहुत उपयोगी माना जाता है। भारत में यह पंचकर्म पांच हजार साल से प्रयोग में लाया जा रहा है, जो बीमार नहीं बीमारी को ठीक करने में बहुत सफल है।
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जानिए कैसे होता है इलाज
डा.अजय गुप्ता ने बताया कि शिरोधारा के लिए लोहे या मिट्टी का बर्तन लिया जाता है। बर्तन के तल में छेद कर दिया जाता है और छेद को बत्ती के जरिए बंद किया जाता है। इसके बाद बिस्तर पर लेटे व्यक्ति के सिर के उपर इस बर्तन को लटकाया जाता है। बर्तन में औषधीय तेल, क्वाथ या दूध व अन्य औषधीय द्रव्य भरे जाते हैं। मरीज की आंख को ढक कर बर्तन के जरिए औषधी को चार अंगुल उपर से मस्तिष्क पर डाली जाती है यह प्रक्रिया 45 मिनट तक चलती है। शिरोबस्ति में एक चमड़े या प्लास्टिक से सिर को ऐसे ढका जाता है कि वह कुंआ जैसा बन जाता है इसके बाद कुंआ में रोग के अनुसार औषधी युक्त द्रव्य भर दिया जाता है जिसे 48 मिनट तक रखा जाता है। इन तरह जटिल से जटिल मानसिक रोगों का इलाज किया जाता है।
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इन रोगों का होता है इलाज
माइग्रेन, आंखों का रोग, सायनासाइटिस, स्मृति नाश, अनिद्रा, उच्च रक्तचाप, पुराना सिरदर्द, अधकपारी
शिरोधारा व शिरोबस्ति से होता है यह लाभ
माइग्रेन का असर खत्म होता है, तनाव कम होने से अच्छी नींद आती है, एकाग्रता बढऩे से काम में मन लगता है, आध्यात्मिक जागरूकता आने से जीवनशैली बदल सकती है।
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Published on:
10 Oct 2018 03:32 pm
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