प्लास्टिक कॉस्ट –
हीट से मोल्ड किया जाने वाला प्लास्टिक, हाथों की हड्डियों के आसपास रिवेट्स या कीलों के रूप में प्रयोग होता है।
थ्री-डी बॉडी पार्ट प्रिंटिंग –
ऐसे थ्री-डी बॉडी पार्ट जीवित कोशिकाओं और पॉलिस्टर प्लास्टिक की मदद से बनाए जाते हैं। उदाहरण के लिए प्लास्टिक से बना हुआ नकली कान।
प्लास्टिक फोम –
ट्रॉमा से गुजर रहे मरीजों को शांत करने के लिए पॉलीयूरेथेन फोम का प्रयोग किया जाता है। ऐसा प्लास्टिक फोम शरीर के अंदर रक्तस्राव को रोकने और क्षतिग्रस्त टिश्यूज को ठीक करने के काम आता है।
आर्टिफिशियल कॉर्निया या पुतली –
सिलीकॉन से बने कॉर्निया आंखों की घातक चोट या इंफ्लेमेशन के उपचार में प्रयोग किए जाते हैं। इनकी मदद से दृष्टि लौटाई जा सकती है और ये असली कॉर्निया जैसे होते हैं।
थ्री-डी प्रिंटेड प्लास्टिक स्प्लिंट –
यह एक प्रकार की पट्टी होती है जो थ्री-डी प्रिंटेड तकनीक से बनाई जाती है। इसे बनाने में पॉलीकैप्रोलेक्टोन का प्रयोग होता है जिसे मेडिकल प्लास्टिक भी कहा जाता है।
वैक्सीनेशन पैचेज –
इस प्रकार के प्लास्टिक पैचेज त्वचा पर लगाए जाते हैं और उनमें माइक्रो निडल्स होती हैं। इनकी मदद से बिना दर्द का टीकाकरण किया जाता है।
हियरिंग एड/श्रवण यंत्र –
इस प्रकार का इंप्लांट सुनने के लिए जिम्मेदार ऑडिटरी नर्व को उत्तेजित करता है। ये माइक्रोफोन, माइक्रो कम्प्यूटर, स्टिम्यूलेटर और एक इलेक्ट्रिक कैरियर की तरह होते हैं।
स्पाइनल इंप्लांट –
इस प्रकार के इंप्लांट पॉली इरिथ्रोकीटोन रॉड्स की मदद से बनाए जाते हैं जो घायल या क्षतिग्रस्त रीढ़ की हड्डी को सहारा देते हैं।
एब्जॉर्बल हार्ट स्टेंट –
प्लास्टिक के स्टेंट की मदद से हृदय की ओर प्रवाहित होने वाले रक्त के प्रवाह को ठीक किया जा सकता है जो बाद में शरीर में ही घुल जाते हैं।
प्लास्टिक का हार्ट –
प्लास्टिक से बनी हृदयाकार ट्यूब्स हार्ट वॉल्व की तरह काम कर सकती हैं और एक प्लास्टिक के आर्टिफिशियल हार्ट में रक्त के आदान-प्रदान में सहायक होती हैं।
कृत्रिम रक्त नलिकाएं –
ये बायोडिग्रेडेबल प्लास्टिक मेश ट्यूब इंसानी या जानवरों की मांसपेशियों की कोशिकाओं को मिलाकर बनाई जाती हैं।
हिप रिप्लेसमेंट –
सिरेमिक पॉलीइथीलिन नामक मेडिकल ग्रेड के प्लास्टिक से ऐसे रिप्लेसमेंट बनाए जा रहे हैं जिन्होंने कूल्हों की हड्डियों के रिप्लेसमेंट सर्जरी के क्षेत्र में बड़ा बदलाव ला दिया है।
मेडिकल इंप्लांट में प्लास्टिक –
चार प्रकार के प्लास्टिक इंप्लांट बनाने में प्रयोग होते हैं, जिनके रासायनिक नाम हैं –
इथिलीन विनाइल एसीटेट
प्रोविना सेल्फ-रिइंफोस्र्ड पॉलीफिनाइलीन
वेरिवा पॉली फिलाइल सल्फेन
जेनविया पीक
पॉलीकार्बोनेट मेडिकल डिवाइसेज –
पॉलीकार्बोनेट नामक प्लास्टिक से ऐसी मेडिकल डिवाइसेज बनाई जाती है जो पारदर्शी होती हैं और उनसे कई जटिल कार्य किए जाते हैं।
प्रोथेसिस – प्लास्टिक की आर्थोपेडिक डिवाइसेज को प्रोथेसिस कहा जाता है जो गतिमान रहने वाले अंगों की खराबी को दूर करने के काम आती हैं।
सेल्फ हीलिंग प्रोस्थेटिक्स –
प्लास्टिक से बनी सूक्ष्म कोशिकाएं चोट की स्थिति में खुद ब खुद घाव भर देती हैं। इनमें इंसानी कोशिकाओं की तरह संवेदनशीलता और लचीलापन होता है। ये अपने अंदर विद्युतीय और मैकेनिकल गुण भी संरक्षित रख सकती है।
बैक्टीरिया रेजिस्टेंट प्लास्टिक्स –
इस तरह के प्लास्टिक नॉनस्टिक किस्म के होते हैं जो बीमारियों और संक्रमण को रोकने में काम आते हैं।