
'People eating BP medicines have lower risk of corona'
नई दिल्ली। ब्लड प्रेशर (बीपी) की दवाएं खाने वाले मरीज दूसरे लोगों की तुलना में कोरोना वायरस से ज्यादा सुरक्षित हैं। अप्रैल में आई सर्कुलर रिसर्च रिपोर्ट के मुताबिक चीन के नौ अस्पतालों के जब 1128 मरीजों पर परीक्षण हुआ तो यह बात सामने आई। यह कहना है वरिष्ठ फिजीशियन डॉ. वीएस उपाध्याय का।
बीएचयू से एमबीबीएस और एमडी की डिग्री लेने के बाद 30 वर्ष से अधिक का चिकित्सकीय अनुभव रखने वाले डॉ. वीएस उपाध्याय ने आईएएनएस से कहा कि ब्लड प्रेशर की लिप्रिल, इरिटेल, टैजलाक जैसी दवाएं कोरोना संक्रमित मरीजों में लाभप्रद साबित होती हैं।
डॉ. उपाध्याय ने कारण बताते हुए कहा कि कोरोना वायरस हमारे फेफड़े के रिसेप्टर (ग्राही) पर आक्रमण करता है। जबकि जो लोग ब्लड प्रेशर की दवाएं खाते हैं, उनका रिसेप्टर दवाओं के माध्यम से पहले ही ब्लॉक रहता है। जिससे कोरोना वायरस का फेफड़े के रिसेप्टर पर आक्रमण सफल नहीं हो पाता जिससे 70 प्रतिशत मामलों में मौत नहीं होती।
वरिष्ठ फिजीशियन डॉ. वीएस उपाध्याय ने बताया कि कोरोना संक्रमित रोगियों में 20 प्रतिशत मरीज आंत से संबंधित होते हैं। यानी ऐसे मरीजों में डायरिया, पेट दर्द, उल्टी की शिकायत होती है। इनमें चेस्ट इंफेक्शन जैसे खांसी, सांस, गले में खरास नहीं रहता है।
डॉ. उपाध्याय ने कहा कि सुखद बात यह है कि कोरोना संक्रमित सौ लोगों में से 80 लोगों में माइल्ड केस यानी हल्के मामले होते हैं। जो संबंधित व्यक्ति के इम्यून सिस्टम तथा एंटी कोविड 19 दवाओं की वजह से ठीक हो जाते हैं। मात्र 15 प्रतिशत मरीजों को ही ऑक्सीजन थेरेपी की जरूरत होती है। कोरोना वायरस के केवल पांच प्रतिशत केस ही सीरियस होते हैं। जिसमें फेफड़े में सूजन यानी 'एआरडीएस' हो जाता है। ऐसे व्यक्तियों को वेंटिलेटर तथा प्लाज्मा थेरेपी और एंटी कोविड 19 दवाओं की जरूरत होती है।
डॉ. वीएस उपाध्याय के मुताबिक, सांस की तकलीफ होने पर मरीजों को तुरंत डॉक्टर के पास ले जाना चाहिए। कोरोना वायरस के मामलों को देखते हुए अस्पतालों में वेंटेलिटर सुविधाओं के विस्तार की जरूरत है।
नवनीत मिश्र
आईएएनएस
Published on:
30 Apr 2020 11:18 pm
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