आप जरूरत के हिसाब से आयरन, फॉलिक एसिड और कैल्शियम ( Supplements For Pregnant Women ) की पूर्ति पर जोर दें। ज्यादातर महिलाओं को गर्भधारण से 6 हफ्ते पूर्व ही फॉलिक एसिड की दवा नियमित लेने और डाइट में मौसमी फल व सब्जियां खाने की की जरूरत हाेती है, जाे आगे चलकर स्वस्थ प्रेग्नेंसी में मददगार हाेता है। शरीर को एक्टिव रखना नॉर्मल डिलीवरी की संभावना बढ़ाता है। ऐसे में योग, ब्रिस्क वॉक व हल्के-फुल्के वर्कआउट करें।
यदि महिला किसी रोग से पीड़ित है तो उसके निदान के बाद ही प्रेग्नेंसी प्लान करनी चाहिए। जैसे डायबिटीज, थायरॉइड, ब्लड प्रेशर संबंधी दिक्कत, किसी तरह का इंफेक्शन या क्रॉनिक डिजीज आदि। गर्भावस्था में रखें इन बाताे का ध्यान ( Precautions During Pregnancy )
प्रेग्नेंट महिला को भूखा नहीं रहना चाहिए, दिन में 5 से 6 बार आहार लें। प्रेग्नेंसी के दौरान महिला की इम्युनिटी कम हो जाती है। ऐसे में दुग्ध उत्पाद जैसे पनीर, दूध, छाछ के अलावा दालें, मौसमी फल, सब्जियां, सलाद व सूखे मेवे लें। कार्ब कम और प्रोटीन ज्यादा लें। आहार में सभी प्रकार के फल, सब्जियों व अनाज को शामिल करें। रेशे वाले मौसमी फल और सब्जियां खाएं ताकि कब्ज की शिकायत दूर हो सके। अगर शरीर में खून की कमी है तो हरी पत्तेदार सब्जियों को सीमित मात्रा में खाने के अलावा सप्लीमेंट्स भी डॉक्टरी सलाह से ले सकती हैं। इस दौरान संक्रमण की आशंका अधिक रहती है इसलिए खूब पानी पीएं और लिक्विड डाइट लें।
तनाव न लें वर्ना मां व शिशु, दोनों को नुकसान होगा। अधिक वजन या भारी वस्तु न उठाएं। ज्यादा देर खड़े न रहें वर्ना पैरों में सूजन आ सकती है। पर्याप्त नींद लें और आराम करें। कोई भी दवा मर्जी से न लें। घर का रुटीन काम भी वर्कआउट का हिस्सा है।
माह के गैप यानी हर तिमाही में जांचें व सोनोग्राफी को टालें नहीं। रिपोर्ट के आधार पर विशेषज्ञ दवा की डोज, खानपान और एहतियात बताते हैं।
दिनचर्या या खानपान में गड़बड़ी से महिला के शरीर में कई बार ऑक्सीजन की कमी हो जाती है जिसका असर गर्भस्थ शिशु के एक्टिव रहने पर होता है। प्लेसेंटा के जरिए पर्याप्त मात्रा में ऑक्सीजन न मिलने से शिशु तुलनात्मक रूप से कम एक्टिव रहता है व किक भी नहीं मारता जो कि सामान्य प्रेग्नेंसी में होना चाहिए। फीटल किक गिनकर (डॉक्टर से पूछ सकते) बच्चे की गति का अंदाजा लगा सकते हैं।
कई महिलाओं को प्रेग्नेंसी में वजन बढ़ने की शिकायत होती है। ऐसा गर्भस्थ शिशु का आकार बढ़ने से होता है। यदि वजन ज्यादा ही बढ़ रहा है तो डॉक्टरी सलाह जरूर लें।
गर्भावस्था में तनाव, ब्लीडिंग, इम्युनिटी कम होने से संक्रमण हो सकता है। पेट में दर्द, पैरों में सूजन, मूड स्विंग होने की दिक्कत होती है ताे चिकित्सक काे दिखाएं। कड़क चाय से बचें ( Cut down on caffeine )
प्रेग्नेंसी में बार-बार उल्टी होना खासकर पहली तिमाही में सामान्य है। लेकिन यदि उल्टी की अधिक शिकायत हो तो सुबह के समय कड़क चाय न पीएं। ग्लूकोज या आटे के बिस्किट लें। खट्टा खाने की इच्छा हो तो कटे नींबू पर सेंधा नमक व पिसी कालीमिर्च डालकर चिमटे से गर्म करें व चूसें। नींबू की शिकंजी भी ले सकती हैं। चीनी की जगह धागा मिश्री का इस्तेमाल करें।
नॉर्मल डिलीवरी के लिए ( Tips For Normal Delivery )
गर्भावस्था से पहले से फिजीकल एक्टिविटी जारी रखें। वजन अधिक है तो प्रेग्नेंसी से पहले कम कर लें। प्रेग्नेंसी के दौरान खाने के तुरंत बाद लेटे नहीं। करीब 100 कदम धीरे-धीरे चलें फिर रेस्ट करें। जब भी लेटें तो बाईं ओर करवट लेकर लेटें।