
पेंक्रियाज कैंसर होने का पता सेकंड स्टेज में चलता है। इसमें पेंक्रियाज (अग्नाशय) अपनी जगह से खिसक जाता है और शरीर को दूसरे अंगों पर दबाव डालने लगता है। लिवर से जो पित्त रस निकलते हैं वे पेंक्रियाज कैंसर के बढऩे पर रक्त में जाने लगते है जिससे पीलिया हो जाता है। इससे भी पेंक्रियाज कैंसर में लिवर फेल होने के कारण जान जा सकती है। पत्रिका टीवी के हैलो डॉक्टर कार्यक्रम में पेंक्रियाज कैंसर पर हुई चर्चा के अंश...।
बढ़ती उम्र की बीमारी
पैंक्रियाज कैंसर बढ़ती हुई उम्र की बीमारी है। ये आनुवांशिक समस्या भी है जो माता-पिता भाई-बहन से एक दूसरे को होती है। पेंक्रियाज कैंसर में इंसुलिन बनने का काम प्रभावित होता है। शुगर लेवल को बढ़ाने या घटाने वाली कोशिकाएं पेंक्रियाज में होती हैं। कैंसर कोशिकाओं के बढऩे या फैलने का असर शुगर लेवल पर आता है।
ये जांचें जरूरी
पेट की सोनोग्राफी से गांठ का पता करते हैं। कंट्रास्ट सीटी स्कैन, ईआरसीपी, पैट सीटी स्कैन से बीमारी का विस्तार से पता चलता है। पैट स्कैन से बीमारी शरीर के दूसरे हिस्से जैसे फेफड़े, ब्रेन, ब्लड और किडनी में फैली है तो उसकी पूरी स्थिति पता चलती है। स्कैन में एफएनएसी(पेंक्रियाज से ऊत्तक लेकर) लेकर जांच करते हैं।
ट्यूमर चार सेमी. से छोटा तो ही ऑपरेशन
पेंक्रियाज ट्यूमर चार सेमी. से छोटा है और बड़ी रक्त वाहिकाओं से दूर है तो ऑपरेशन करते हैं। जिन रोगियों में कैंसर फैल चुका है उनमें कीमोथैरेपी से बीमारी को कम करने के बाद ऑपरेशन करते हैं। ऑपरेशन से पहले रेसपिरेटरी मेडिसिन देते हैं। शरीर में प्रोटीन का स्तर संतुलित रखना जरूरी है वर्ना ऑपरेशन के इच्छित नतीजे नहीं आते ।
पेंक्रियाज इंफेक्शन भी खतरनाक
श राब-सिगरेट पीने, तंबाकू, पान-मसाला खाने से बीमारी बढ़ सकती है। डायबीटिज और पेंक्रियाज इंफेक्शन जिसे पेन्क्रियाटाइटिस कहते हैं से भी बीमारी हो सकती है। कैंसर बहुत अधिक फैल गया है तो ऑपरेशन से भी रोगी के जीवन को बढ़ाना काफी मुश्किल होता है।
लाइफस्टाइल सुधार से बचाव संभव
पेंक्रियाज कैंसर से बचाव के लिए लाइफ स्टाइल का बेहतर होना जरूरी है। इसमें खानपान के साथ नियमित एक्सरसाइज करना जरूरी है। खानपान में फल, हरी सब्जियों के साथ दाल, सूप आदि अधिक मात्रा में लेने चाहिएं। डायबिटीज के रोगियों को खास खयाल रखना चाहिए और नियमित जांच कराते रहना चाहिए। रेड मीट खाने से परहेज करना चाहिए। इसमें फैट अच्छी क्वालिटी का नहीं होता है। इसकी जगह मछली और अंडा अधिक फायदेमंद माना जाता है।
लक्षणों को समय रहते पहचानें
पेंक्रियाज कैंसर के लक्षण सामान्य होते हैं। इसमें जी-घबराना, उल्टी, पीलिया, अपच, अचानक वजन कम होना, भूख न लगना, नाक से पानी आना, उल्टी होना, शरीर में ग्लूकोज लेवल कम या अधिक होने से चक्कर या थकान रहना। दिमाग में ग्लूकोज की पर्याप्त मात्रा न पहुंचने पर व्यक्ति बेहोश होने के साथ कोमा में भी जा सकता है।

Published on:
31 Mar 2018 05:33 am
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