एक्सपर्ट : डॉ. दानिश शर्मा, प्रोफेसर, विभागाध्यक्ष शरीर विज्ञान, एम्स, रायपुर (छत्तीसगढ़)
एक्सपर्ट : डॉ. किशोर पटवद्र्धन, प्रोफेसर, क्रिया शरीर विभाग, बीएचयू, वाराणसी (उत्तर प्रदेश)
जयपुरPublished: Jul 07, 2019 01:36:38 pm
Ramesh Singh
दिमाग की पीनियल ग्रंथी से मेलाटोनिन नामक हार्मोन स्रावित होता है। यह नींद, मेलानिन (त्वचा के रंग) को भी नियंत्रित करता है। जब दिन लंबा होता है और सीधी धूप पड़ती है तो उस समय मेलानिन ज्यादा रिलीज होता है। बायलॉजिकल क्लॉक के बिगड़ने से स्वास्थ्य संबंधी ये दिक्कतें हो सकती हैं।
बायलॉजिकल क्लॉक के विरुद्ध चलने से होती हैं ये बीमारियां
अनिद्रा : जिस समय शरीर में मेलाटोनिन हॉर्मोन का स्राव होता है लेकिन उस समय सोते नहीं हैं तो अनिद्रा की समस्या होती है। गहरी नींद भी नहीं आती है।
अपच : शरीर की बायलॉजिकल क्लॉक के खिलाफ काम करने से पाचन क्रिया बिगड़ती है। यही वजह से है कि देर रात भोजन करने वालों को अपच, एसीडिटी, खट्टी डकार की दिक्कत होती है। मोटापे की एक वजह यह भी।
मानसिक समस्या : एकाग्रता घटती है। भूलने व उलझन जैसी समस्याएं होने लगती हैं। इसके बाद अनिद्रा व मानसिक नियंत्रण, याद्दाश्त पर भी असर पड़ता है।
डायबिटीज : देर रात खाने पर इसे पचाने के लिए पैंक्रियाज एन्जाइम का स्राव करते हैं। ऐसा अक्सर करने से डायबिटीज की आशंका बढ़ती है। यदि पहले से डायबिटीज रोगी हैं तो ब्लड शुगर में उतार-चढ़ाव भी हो सकता है।
मोटापा : बायलॉजिकल क्लॉक के विरुद्ध खाने को शरीर पूरी तरह पचा नहीं पाता है। इसलिए वह वसा के रूप में शरीर जमा होने लगता है। इससे मोटापा बढ़ता है।
कैंसर : लंबे समय तक जैविक घड़ी के विपरीत चलने वालों के शरीर में कई तरह के हॉर्मोंस का स्राव अनियंत्रित हो जाता है। लंबे समय तक असंतुलन से जींस में म्यूटेशन या बदलाव से कैंसर की आशंका बढ़ जाती है।
एक्सपर्ट : डॉ. दानिश शर्मा, प्रोफेसर, विभागाध्यक्ष शरीर विज्ञान, एम्स, रायपुर (छत्तीसगढ़)
एक्सपर्ट : डॉ. किशोर पटवद्र्धन, प्रोफेसर, क्रिया शरीर विभाग, बीएचयू, वाराणसी (उत्तर प्रदेश)