नॉर्मल या सिजेरियन डिलीवरी में समस्या लगभग बराबर होती है। प्रसव बाद महिलाएं खाने और पीने को लेकर लापरवाही बरतती हैं, जिससे परेशानी होती है। इसलिए खान-पान को लेकर ज्यादा ध्यान रखना चाहिए। नींबू की शिकंजी लेना फायदेमंद है। इसमें पर्याप्त मात्रा में विटामिन-सी होता है, जो घाव को भरने में मदद करता है। पानी खूब पीना चाहिए। इससे कब्ज नहीं होती है। कब्ज होने से टांके खुलने की आशंका रहती है।
जिसकी डिलीवरी सामान्य तरह से हुई है उसको एक दिन बाद और जिसकी ऑपरेशन से हुई है उसे डॉक्टर से परामर्श के बाद ही एक्सरसाइज शुरू करनी चाहिए। इस दौरान एक्सरसाइज से मांसपेशियां अपनी पुरानी अवस्था में आ जाती हैं। प्रसव के बाद लंबे समय तक आराम करना सेहत के लिए ठीक नहीं होता है।
डिलीवरी के दौरान मसल्स की स्ट्रेचिंग होती है, इसलिए पेट बढ़ जाता है। प्रसव के डेढ़ महीने बाद यह सामान्य हो जाता है। इससे बचाव के लिए बैठने का तौर तरीका सही रखने के साथ पेट की एक्सरसाइज करते रहना चाहिए। सामान्य प्रसव हुआ है तो अगले दिन से कर सकते हैं। ऑपरेशन से प्रसव हुआ है तो डॉक्टर के परामर्श के बाद व्यायाम कर सकती हैं। फास्ट फूड और फैटी डाइट खाने से परहेज करना चाहिए।
गर्भधारण में किसी कारण या फैमिली प्लानिंग में देरी से स्तन कैंसर होने की आशंका रहती है। बच्चा समय से पैदा होता है तो स्तनपान कराने से स्तन संबंधी तकलीफ होने का खतरा 50 फीसदी कम हो जाता है। स्तन में गांठ या निप्पल के रंग में बदलाव स्तन संबंधी बीमारी का लक्षण हैं। डॉक्टर से मिलें।