क्यों बिगड़ रही हमारी बायोलॉजिकल क्लॉक
खानपान-जीवनशैली को समय से रखने से हमारे शरीर की जैविक घड़ी सही रहती है। जैविक घड़ी से शरीर की जैविक क्रियाएं जैसे- जागने-सोने का समय, हार्मोन रिलीज, बॉडी टेम्प्रेचर आदि नियंत्रित होते हैं। इसके उलट दिनचर्या से याद्दाश्त, चिड़चिड़ापन, अनिद्रा जैसी दिक्कतें होती हैं। इम्युनिटी भी घटती है।

ऐसे चलता है सेहत का चक्र
4:00-5:00 बजे सुबह : इस समय शरीर का सबसे कम तापमान होता है। इसलिए ठंड ज्यादा लगती है।
6:00 बजे सुबह : शरीर तनाव बढ़ाने वाले हॉर्मोन कार्टिसोल का ज्यादा स्राव करता है। इससे शरीर गहरी नींद से बाहर आता है। इसलिए इस समय योग-व्यायाम करना बेहतर माना जाता है।
7:00 बजे सुबह : इस समय शरीर में ब्लड प्रेशर के स्तर में बदलाव आता है। यही कारण है कि स्ट्रोक या हार्ट अटैक इस समय ज्यादा होते हैं।
8:00 बजे सुबह : सुबह छह बजे सोकर उठने के बाद इस समय आंतों का मूवमेंट सबसे तेज होता है। यह शौच के लिए सबसे उचित होता है।
9:00 बजे सुबह: पूरे दिन में इस समय शरीर टेस्टस्टेरॉन हार्मोन ज्यादा स्रावित करता है। एथलेटिक एक्टिविटी व हार्ड वर्कआउट के लिए अच्छा होता है।
10:00 बजे सुबह : इस समय शरीर सबसे ज्यादा अलर्ट होता है। इसीलिए ऑफिस में काम की शुरुआत इस समय होती है।
2:00-4:00 बजे दोपहर : इस समय शरीर बेहतरीन कोऑर्डिनेशन और रिएक्ट करने की स्थिति में होता है। शारीरिक गतिविधि संबंधी कार्य करना चाहिए।
6:00 बजे शाम : यह समय मांसपेशियों को बढ़ाने वाले व्यायाम के लिए सबसे अच्छा होता है। मसल्स स्ट्रेंथ, कार्डियो वेस्क्युलर व्यायाम करना चाहिए।
7:00-8:00 बजे रात : इस समय शरीर का तापमान सबसे ज्यादा होता है। ब्लड प्रेशर बढ़ सकता है। बहस करने से बचें। हृदयरोगी सावधानी बरतें।
9:00-10:00 बजे रात : शरीर में मेलाटोनिन हार्मोन का स्राव होता है। इसलिए इस समय सोने के लिए बिस्तर पर जाना चाहिए।
1:00-4:00 बजे भोर : शरीर सबसे गहरी नींद में होता है। इस वक्त किसी को सोते से जगाने या किसी भी तरह की गतिविधि से बचना चाहिए। इलेक्ट्रो इंस्फैलोग्राम से नींद की गहराई मापते हैं। जिसमें व्यक्ति की डीप मापते हैं। नींद व जागने की स्थिति जितनी अच्छी होती है, उसका व्यवहार, निर्णय क्षमता, याद्दाश्त अच्छी रहती है। भूख भी अच्छी लगती है।
एक्सपर्ट : डॉ. दानिश शर्मा, प्रोफेसर, विभागाध्यक्ष शरीर विज्ञान, एम्स, रायपुर (छत्तीसगढ़)
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