हर उम्र के बच्चे के लिए योग फायदेमंद है। खासतौर पर मानसिक और शारीरिक तौर पर असक्षम बच्चों में इसका बहुत ज्यादा असर देखने को मिला है। कोलंबिया विश्वविद्यालय के एक अध्ययन में सामने आया कि योग करने से एडीएचडी रोग से ग्रसित 6 से 11 साल के बच्चों में से 90 प्रतिशत का अकादमिक प्रदर्शन सुधरा। शोधकर्ताओं का मानना है कि योग डोपामाइन नाम के दिमागी रसायन को उत्प्रेरित करता है, जो एकाग्रता, सक्रियता और सीखने में मदद करता है।
योग ऑटिज्म से पीड़ित बच्चों के स्कूली प्रदर्शन को सुधारने में भी मदद कर सकता है। ऐसा भी अमरीकन जर्नल ऑफ ऑक्यूपेशनल थेरैपी के एक अध्ययन का कहना है। अभिभावकों का भी मानना है कि उनके बच्चों को योग से फायदा होता है।
बच्चों ने भी अपने अभिभावकों और शिक्षकों को बताया कि योग करने से उन्हें अब किसी भी काम में ध्यान लगाने में आसानी होती है। योग पूरे शरीर को मजबूती देता है, इससे भावनात्मक संतुलन भी बना रहता है। बच्चों के आत्म-विश्वास और आत्म-सम्मान में वृद्धि होती है।एडीएचडी से ग्रसित बच्चों में इसकी कमी पाई जाती है। इस कमी के कारण उन्हें सीखने और किसी काम में मन लगाने में परेशानी होती है।