उत्कटासन
काल्पनिक कुर्सी पर बैठने की प्रक्रिया है, उत्कटासन। जांघ, कमर व पेट की चर्बी कम होने से इन अंगों की मांसपेशी व हड्डियां मजबूत होती हैं। हृदयरोगों को दूर रखने में भी लाभदायक है।
ऐसे करें: सीधे खड़े होकर दोनों पैरों के बीच 6 इंच दूरी व दोनों हाथों को कंधों के बराबर सामने की ओर रखें। धीरे-धीरे सांस लेते हुए घुटनों को मोड़ते हुए एेसी अवस्था में बैठें जैसे किसी कुर्सी पर बैठे हों। हाथों को सिर के बराबर ऊपर ले जाएं व सामान्य सांस लें। क्षमतानुसार इस स्थिति में रुककर धीरे-धीरे सांस छोड़ें व प्रारंभिक अवस्था में आएं।
चतुरंग दंडासन
एब्स बनाने के शौकीन व्यक्ति आसानी से घर पर भी इसका अभ्यास कर सकते हैं। असामान्य दिल की धड़कनों की परेशानी होने पर यह आसन अच्छा है।
ऐसे करें: पेट के बल जमीन पर लेट जाएं। अब हथेलियों को सीने के पास लाकर जमीन पर टिकाएं। हाथों पर वजन डालते हुए शरीर को ऊपर उठाएं और पैरों की अंगुलियों के बल टिक जाएं। कलाई और कंधे के बीच जब तक 90 डिग्री का कोण नहीं बन पाता तब तक ऊपर उठें। पीठ सीधी रखें। सिर शरीर की सिधाई में होना चाहिए।
ध्यान रखें: हाथ-पैर से जुड़ी कोई दिक्कत या हाल में कोई सर्जरी हुई हो तो न करें। ऊर्ध्व हस्तासन
यह आसन शरीर के लिए सबसे लाभदायक माना जाता है। इसके नियमित अभ्यास से लंबाई तो बढ़ती है साथ ही हर अंग की मांसपेशियों और अंदरुनी कोशिकाओं पर असर होता है।
ऐसे करें: ताड़ासन की तरह होता है यह आसन। इसमें केवल एड़ी की स्थिति का फर्क होता है। ऊर्ध्व हस्तासन में एड़ी को ऊपर नहीं उठाते सिर्फ हथेलियों के सहारा शरीर को ऊपर की ओर खींचते हैं। इस आसन को करने से पहले सावधान की स्थिति में खड़े हो जाएं। अब दोनों हाथों की अंगुलियों को आपस में फंसाकर ऊपर की ओर खींचें। फिर सांस खींचते हुए पहले दाईं तरफ और फिर बाईं तरह थोड़ा झुकें। इस दौरान सामान्य सांस लेते रहें।
ध्यान रखें: वैसे इसके अभ्यास में किसी प्रकार की सावधानी की जरूरत नहीं पड़ती। लेकिन फिर भी असहज महसूस करने या चक्कर, सिरदर्द जैसी परेशानियां हों तो तुरंत विशेषज्ञ से राय लें।