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शरीर, मन और आत्मा को जोड़ता है योग, जानिए योग के आठ अंगों के बारे में

Yoga ke prakar in hindi : योग का अर्थ जीवन में संतुलन है। गीता में भगवान श्रीकृष्ण कहते हैं ‘समत्वं योग उच्यते’।

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eight limbs of yoga

eight limbs of yoga

योग का अर्थ जीवन में संतुलन है। गीता में भगवान श्रीकृष्ण कहते हैं ‘समत्वं योग उच्यते’। समत्वं का अर्थ संतुलन है। सुख-दुख, लाभ-हानि, जय-पराजय, मान-अपमान, ठण्ड-गर्मी प्रत्येक स्थिति में संतुलन बनाए रखना ही योग का मुय लक्ष्य है। योग के जरिए ही तन, मन व आत्मा में संतुलन लाकर आप बहुआयामी विकास के पथ पर बढ़ सकते हैं। योग से कार्य उत्पादकता व कुशलता बढ़ती है।

मिथकों को तोड़ना जरूरी

योग को किसी धर्म से न जोड़ें। यह एक विज्ञान है और सभी के लिए सार्थक है। योग करने के लिए शरीर लचीला होना चाहिए यह भ्रान्ति है। योग करने वाले शरीर से अकड़न चली जाती है। इससे दर्द होना भी भ्रान्ति है। जबकि यह दर्द से राहत देता है। योग कसरत नहीं, सहजता से किया जाने वाला प्रयोग है।

जानिए योग के आठ अंगों के बारे में..

इसके आठ अंग हैं-यम, नियम, आसन, प्राणायाम, प्रत्याहार, धारणा, ध्यान व समाधि

  1. यम : यह सामाजिक नैतिकता से जुड़ा है, जिसके पांच प्रकार - अहिंसा, सत्य, अस्तेय, ब्रह्मचर्य, अपरिग्रह अर्थात जितना जरूरी है उतना ही रखना। संग्रह न करना। वाणी व आचरण से यदि किसी को चोट पहुंचाते हैं तो वह एक तरह की हिंसा है।
  2. नियम : पांच नियम होते हैं, शौच, संतोष, तप, स्वाध्याय, ईश्वर प्रणिधान यानी ईश्वर के प्रति पूर्ण समर्पण। शरीर, मन, चेतना का शुद्धिकरण शौच है। जो भी काम हम करते हैं, उसके प्रति संतुष्टि का भाव संतोष होता है। स्वयं को अनुशासित करना तप होता है और स्वयं का अध्ययन ही स्वाध्याय है।
  3. आसन : योग में कहा गया है कि जिस प्रकार जगत में 84 लाख योनियां मानी गई हैं, उसी तरह 84 आसन प्रमुख हैं।
  4. प्राणायाम : प्राणायाम का अर्थ है प्राण को विस्तार देना, यह सेतु है चेतना व शरीर के मध्य। प्राणायाम के द्वारा परम स्वास्थ्य को प्राप्त करते है। श्वास सबन्धी बीमारियों के लिए यह रामबाण है। इसे किसी योग प्रशिक्षक से सीखना चाहिए।
  5. प्रत्याहार : यह बाह्य योग का हिस्सा है। प्रत्याहार का अर्थ है कोई भी मंत्र, जिसमें सहजता महसूस करें। जपते रहें।
  6. धारणा : मन को एकाग्र करने के लिए जो भी ध्येय विषय है उस पर स्थिर होना होता है। मन को स्थिर कर अभ्यास करना बेहद जरूरी है।
  7. ध्यान: जिसका भी हम ध्यान करें उसे तदरूप करें। उसमें चित्त का विलीन हो जाना ध्यान की स्थिति है।
  8. समाधि : समाधि में सभी प्रकार की वृत्तियों का निरोध हो जाता है। आदमी इन सब वृत्तियों से ऊपर उठ जाता है।

चेतना को एक लय में लाता है योग

योग की विशेषता है कि यह शरीर की चेतना को एक लय में लाता है। इसमें कुछ सावधानियां भी बरतें। योग हमेशा खाली पेट ही करें। जगह समतल हो, आसन बिछाकर योग करें। मस्तिष्क शांत रखें। यदि भोजन किया है तो उसके 3-4 घंटे बाद योग करें। इस समय आरामदायक कपड़े पहनें। योग का स्थान हवादार व शांति वाला हो। माइंडफुलनेस के साथ योगाभ्यास करें। पहले शिथिल करने वाले आसन के साथ प्रारभ करें, कठिन आसन से कभी प्रारभ न करें। योगासन में श्वास पर ध्यान दें।

  • 84 तरह से आसन हैं योग में
  • 2015 में पहली बार मनाया गया था अन्तरराष्ट्रीय योग दिवस
  • 2014 में यूएनओ में विश्व स्तर पर योग दिवस मनाने का किया गया आह्वान

डॉ. नागेंद्र कुमार नीरज
मुख्य चिकित्सा प्रभारी व निदेशक, पतंजलि योगग्राम, हरिद्वार