6 रोग जिनमें योग फायदेमंद
– लाइफ स्टाइल डिसऑर्डर संबंधी परेशानियों से बचाव के लिए नियमित योग करना लाभकारी माना जाता है।
– हृदय संबंधी रोगों से बचाव के लिए जीवनशैली में ताड़ासन, वृक्षासन, वज्रासन, भुजंगासन, शवासन, सूक्ष्म व्यायाम, करना चाहिए। इससे हृदय की कार्यक्षमता ठीक रहती है।
– मधुमेह में अर्ध मत्स्येनद्रासन, भुजंगासन, चक्रासन, सूर्य नमस्कार, कपालभाति, भस्त्रिका लाभदायक होता है। इससे शरीर में इंसुलिन बनने की प्रक्रिया ठीक रहती है।
– तनाव कम करने के लिए अधोमुखशवानासन, उत्तानासन, पादोत्तानासन, सेतुबंध, शवासन, भ्रामरी, शीतली, अनुलोम विलोम, योगनिद्रा और ध्यान लगाना चाहिए।
– बीपी : योगनिद्रा, ध्यान, भ्रामरी, शीतली चन्द्र अनुलोम विलोम, मकरासन, सरल भुजंगासन, शवासन आदि करने से बीपी संबंधी समस्या में आराम मिलता है। – कमर दर्द में भुजंगआसन, शलभासन, शवासन, ध्यान और सेतुबंध आसन से आराम मिलता है। रीढ़ की हड्डी में आई तकलीफ में आराम मिलता है।
हड्डियों की बीमारी से बचाने वाले योगासन
हड्डी संबंधी रोगों से बचाव या परेशानी से निजात के लिए ऑर्थो योगासन कारगर हैं। इनसे कई तरह की परेशानियों से बचा जा सकता है। कुछ योगासन ऐसे हैं, जिनसे हड्डियों और उनके आसपास की मांसपेशियों में लचीलापन आता है और काम करने की क्षमता ठीक रहती है।
– पीठ दर्द भुजंगासन, उत्तानपाद आसन और पवनमुक्तासन से पीठ दर्द संबंधी समस्या से बचा जा सकता है। इसे 10 से 12 बार नियमित करना चाहिए। इससे हड्डियां और मांसपेशियां मजबूती होती हैं, पीठ दर्द में आराम मिलता है।
– गर्दन के दर्द से बचाव के लिए गर्दन को आगे और पीछे की तरफ घुमाने से काफी आराम मिलता है। इसे फॉरवर्ड और बैकवार्ड बेंडिंग कहते हैं। विशेषज्ञ से इसे करने का सही तरीका जानने के बाद ही करें। इसे नियमित करने से गर्दन की मांसपेशी मजबूत होती है, सर्वाइकल स्पॉनडलाइटिस में आराम मिलता है।
आसन से पहले जरूरी हैं कुछ शुद्धि क्रियाएं
– हठयोग में कुछ तरह की शुद्धि क्रियाएं होती हैं, जिन्हें योग से पहले किया जाए तो ज्यादा लाभ मिलता है। आइए जानते हैं वे कौन सी योग क्रियाएं हैं जिन्हें करना चाहिए।
नौली : पेट संबंधी विकार को दूर करने के लिए पेट में घुमाव लाने की प्रक्रिया होती है। ध्यान रहे पेट संबंधी कोई परेशानी है तो इसे न करें। वस्ति क्रिया : बड़ी आंत को साफ करने की क्रिया है। इसमें एनिमा लगाते हैं। इससे बड़ी आंत और मलाशय की शुद्धि होती है।
त्राटक: त्राटक में उगते सूर्य को देखते हैं। इससे आंखों की रोशनी अच्छी रहती है। दीपक त्राटक में दीपक की रोशनी को पांच फीट दूर से देखते हैं। दंड धौती : पहले गुनगुना पानी सेंधा नमक के साथ पीते हैं। इसके बाद प्लास्टिक की पतली नली मुंह के भीतर से होते हुए अमाशय तक ले जाते हैं। इसके बाद पानी को पाइप से बाहर निकालते हैं।
नेति क्रिया : यह दो तरह की होती है। जलनेति व सूत नेति। जलनेति में नाक की सफाई होती है। धौती में वमन (उल्टी) कराते हैं। वस्त्र धौती में मलमल के कपड़े की पट्टी निगलते हैं। जीआई ट्रैक्ट साफ करती है।