विशेषज्ञों के मुताबिक बरसों पुरानी टूथोलॉजी पद्धति के जरिए किसी भी व्यक्ति की पूरी हैल्थ जांची जा सकती है। आप क्या खाते हैं, आपका सामाजिक जीवन कैसा है और आप किस ढंग की लाइफ जी रहे हैं, आपके दांत और मुंह इस सब से परदा उठा सकते हैं।
एसडिटी से दांतों में ठंडा-गरम
जिस व्यक्ति को लगातार एसिडिटी या छाती में जलन की शिकायत रहती है, उसके दांत संवेदनशील हो जाते हैं। गलत खानपान और खाने के तुरंत बाद बिस्तर पर लेट जाना एसिडिटी की शिकायत होती है। इस वजह से पेट के वॉल्व ढीले पड़ जाते हैं और पेट में बनने वाला एसिड उल्टे मुंह की तरफ बढ़ जाता है। इससे आपके दांतों को ठंडा गरम लगने की शिकायत होती है।
तनाव में किटकिटाते हैं दांत
कई लोगों को आदत होती है कि दिन-रात अपने दांत किटकिटाते रहते हैं। लंबे समय तक ऐसा करते रहने से अक्सर दांत फ्लैट हो जाते हैं। इस वजह से जबड़े तो कमजोर होते ही हैं, सिर दर्द और कानों में दर्द की शिकायत भी होने लगती है। इसके पीछे तनाव एक बहुत बड़ा कारण है।
ऊपरी जबड़े का दर्द, साइनस
ऊपरी जबड़े में दर्द का मुख्य कारण साइनस है। ऊपरी जबड़े की जड़े साइनस के काफी करीब होती हैं और जब साइनस एयर संक्रमित हो जाती है, तो वह ऊपरी जबड़े पर दबाव पैदा करती है, जिससे दर्द होता है।
मुंह में छाले, इम्यून सिस्टम कमजोर होना
जब शरीर का इम्युनिटी सिस्टम कमजोर हो जाता है, तो मुंह में छाले की शिकायत आम होने लगती है। यह कब्ज की भी निशानी है। जीभ का रंग बदलना भी मुंह से जुड़ी बीमारियों की ही द्योतक है।
डायबिटिज में सूखने लगता है मुंह
अगर पानी पीने के बावजूद भी आपका मुंंह अक्सर सूखता है, तो यह डायबिटिज के शुरुआती लक्षण हो सकते हैं। दरअसल लार बनाने वाली ग्रंथि में मौजूद रक्त कोशिकाएं मोटी होने लगती हैं और लार का प्राकृतिक बहाव धीमा पड़ जाता है, जिससे मुंह की बीमारियां होने लगती हैं।