
Blood Donation: एक यूनिट ब्लड से तीन लोगों की जिंदगी सुरक्षित की जा सकती है। आंकड़ों की यदि बात करें तो देश में हर वर्ष करीब 1.35 करोड यूनिट ब्लड की जरूरत होती है जबकि 85-90 लाख यूनिट ही मिल पाता है। ऐसे में अगर 2% आबादी भी नियमित रक्तदान करे तो खून की कमी नहीं होगी। वल्र्ड ब्लड डोनर डे (14 जून) पर जानते हैं इससे जुड़ी बातें-
ब्लड डोनेशन के फायदे
अगर आप किसी को अपना खून देते हैं तो इससे उस व्यक्ति की जान बचती है और यह आपकी सेहत के लिए भी अच्छा है।
1. नियमित ब्लड डोनेशन से शरीर में आयरन की मात्रा नियंत्रित रहती है। अधिक आयरन दिल की सेहत के लिए अच्छा नहीं होता है। हार्ट अटैक की आशंका रहती है।
2. रक्तदान के बाद से शरीर में नई सेल्स बनती हैं। ज्यादा मात्रा में लाल रक्त कोशिकाओं कानिर्माण होता है।
3. इसमें जांचें होती हैं, जिससे व्यक्ति को अपनी सेहत की जानकारी मिलती है। इससे भी वजन नियंत्रित होता है।
4. गंभीर बीमारियों की जानकारी भी पहले ही हो जाती है। अगर कोई गंभीर बीमारी जैसे एड्स, एचआइवी, हैपेटाइटिस मलेरिया और सिफलिस आदि है तो इससे पता चल जाता है।
कब पड़ती है जरूरत
हादसों के बाद या सर्जरी के समय, प्रसव या मिसकैरेज के बाद मां या नवजात को , ब्लड कैंसर, हीमोफीलिया, थैलेसीमिया के रोगियों को ब्लड की जरूरत होती है। औसतन हर ओपन हार्ट सर्जरी में 4-5 यूनिट, भयंकर दुर्घटना में घायल को 14-15 यूनिट तक ब्लड की जरूरत होती है।
ब्लड डोनेशन
कौन कर सकता है
उम्र 18 से 60 साल के बीच हो।
वजन 50 किलोग्राम से अधिक होना चाहिए।
दिल की धड़कन और ब्लड प्रेशर सामान्य होने चाहिए।
हीमोग्लोबिन का स्तर 12.5 ग्राम प्रति डीएल से ज्यादा होना चाहिए।
एक सेहतमंद पुरुष हर 3 महीने में तो महिला हर 4 महीने में रक्तदान एक बार कर सकते है।
एक व्यक्ति से अधिकतम 450 एमएल ब्लड ही निकाला जा सकता है। कई लोगों में से केवल प्लेटलेट्स या प्लाज्मा ही लेते हैं।
नाश्ते या हल्के भोजन के बाद ही रक्तदान करें।
कौन नहीं कर सकता
माहवारी के समय, गर्भवती व स्तनपान करवाने वाली महिलाएं।
नशे के आदी, मलेरिया, मिर्गी, पीलिया, टीबी व कैंसर के रोगी।
अस्थमा, एलर्जी, हाइ बीपी, डायबिटीज, किडनी रोग है तो बचें।
खून संबंधी रोग, सर्जरी या 48 घंटे पहले दवा ली हो तो न करें।
डेंटिस्ट को दिखाने के 72 घंटे बाद ही ब्लड डोनेट करें।
अगर टैटू बनवाएं हैं तो एक साल तक डोनेट न करें।
एंटी-रैबीज या हैपेटाइटिस-सी के इलाज के सालभर तक न करें।
कोई बीमारी है तो अपने डॉक्टर से परामर्श लें।
गर्भपात के 6 माह तक न करें।
क्या करें
रक्तदान से पहले...
ब्लड डोनेशन से करीब 24 घंटे पहले से रक्तदाता धूम्रपान नहीं करना चाहिए। रक्तदान के तीन घंटे बाद तक धूम्रपान या नशा करने से बचें।
रक्तदान के करीब तीन घंटे बाद हैल्दी डाइट लें, लेकिन इससे पहले जूस आदि पी सकते हैं।
ब्लड डोनेशन के तुरंत पहले जंक फूड खाना शरीर के लिए अच्छा नहीं माना जाता है।
रक्तदान के अगले दिन भी आप जिम में हल्के वर्कआउट या एक्सरसाइज कर सकते हैं।
रक्तदान एक अच्छी आदत है। इसके साथ ही नशा न करने का भी संकल्प ले सकते हैं।
रक्तदान के बाद...
जिस पॉइंट से खून लिया गया, उसे रक्तदान के बाद अच्छी तरफ साफ पानी और साबुन से धोएं।
रक्तदान के बाद कम से कम आधा घंटा आराम करें और भारी काम या कठिन व्यायाम जैसे डांस, जिम में वेट ट्रेनिंग या रनिंग करने से बचें।
रक्तदान के तुरंत बाद ड्राइविंग करने से बचें। फ्रूट जूस या कोई फल लें।
आंवला, संतरा और नींबू जैसे विटामिन सी युक्त फल खूब खाएं, ताकि आयरन सही समय पर और पूरी तरह से शरीर में अब्जॉर्ब हो सके। जंक फूड, आइसक्रीम और चॉकलेट से दूर रहें।
रक्तदान से जुड़ी भ्रांतियां और वास्तविकता
मिथक 1 : दुबले लोग रक्तदान नहीं
कर सकते हैं?
सच्चाई : जिनका वजन 50 किग्रा से अधिक हो और चाहे दुबले-पतले दिखते हों, वे भी रक्तदान कर सकते हैं। हालांकि अधिक मोटे लोग जिन्हें कोई बीमारी है, उन्हें भी रक्तदान के लिए मना कर दिया जाता है।
मिथक 2 : महिलाएं रक्तदान नहीं कर सकती हैं।
सच्चाई : हीमोग्लोबिन के स्तर की जांच के बाद महिलाएं भी रक्तदान कर सकती हैं। हीमोग्लोबिन एक प्रोटीन होता है जो खून को लाल रंग देता है और शरीर में ऑक्सीजन का संचार करता है।
मिथक 3 : रक्तदान से डोनर में संक्रमण हो सकता है।
सच्चाई : अब हर जगह नई सुई (सीरिंज) का इस्तेमाल किया जाता है। साथ ही हर ब्लड बैंक में साफ-सफाई का पूरा ध्यान दिया जाता है। इसलिए संक्रमण की आशंका लगभग खत्म-सी हो गई है।
मिथक 4 : शरीर में ब्लड सीमित है, इसलिए नहीं देना चाहिए।
सच्चाई : यह पूरी तरह से गलत है। अस्थि मज्जा के भीतर स्टेम सेल्स टूटकर खून के कई घटक बनाते रहते हैं। ये सेल्स लगातार बनते हैं और कुछ घंटों से लेकर 12 दिनों में खत्म हो जाते हैं। ब्लड बनने की प्रक्रिया चलती रहती है।
Published on:
23 Jul 2023 01:37 pm
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