script‘मालगुड़ी डेज’ में ‘स्वामी’ के पिता के किरदार के लिए किया जाता है याद, अब Cannes Film Festival 2024 में क्यों हो रही है चर्चा? | Malgudi days actor Girish Karnad birthday remember for his film manthan nominated in Cannes Film festival 2024 | Patrika News
बॉलीवुड

‘मालगुड़ी डेज’ में ‘स्वामी’ के पिता के किरदार के लिए किया जाता है याद, अब Cannes Film Festival 2024 में क्यों हो रही है चर्चा?

Girish Karnad Birthday: ‘मालगुड़ी डेज’ में पिताजी के किरदार में दिखने वाले गिरीश कर्नाड आज कल कांस फेस्टिवल 2024 में चर्चा में हैं। चलिए जानते हैं इसके पीछे की वजह।

मुंबईMay 19, 2024 / 07:23 am

Swati Tiwari

मालगुड़ी डेज’ में स्वामी के पिता तो आपको याद ही होंगे? अगर नहीं तो हम याद दिलाते हैं। 90s के दिनों में एक शो आया करता था जिसमें धोती, काले कोट और टोपी में एक बच्चा था स्वामी जो दुनिया भर की शरारतें करता था पर अपने पिताजी का नाम सुनते ही वो सीधा बच्चा बन जाता था। पिताजी के इस किरदार में कोई और नहीं बल्कि गिरीश कर्नाड थे। ये न सिर्फ एक अभिनेता थे बल्कि एक बहुत अच्छे नाटककार, लेखक और प्रतिभावान निर्देशक भी थे। 90s के दिनों का ये एक ऐसा शो था जो घर-घर में देखा जाता था।
अगर आप उस दौर में बढ़े हुए हैं तो आपको स्वामी, उसकी शरारतें और पिता की सख्ती जरूर याद होगी। एक पूरी पीढ़ी की यादों का हिस्सा बन गया था ये टीवी धारावाहिक।अब 2024 में कान्स फिल्म फेस्टिवल (Cannes Film Festival) में एक बार फिर से उनकी चर्चा हो रही है।

इस फिल्म की वजह से चर्चे में हैं एक्टर

‘मंथन’ (Manthan) एक ऐसी इकलौती फिल्म है, जो इस साल कान फिल्म फेस्टिवल के क्लासिक सेक्शन में चुनी गई। इस फिल्म में गिरीश कर्नाड (Girish Karnad) भी अहम भूमिका में नजर आए थे। यह पहली ऐसी भारतीय फिल्म थी, जिसे क्राउड फंडिंग से बनाया गया। इसे पूरी तरह से 500,000 किसानों द्वारा क्राउडफंड किया गया था, जिन्होंने दो-दो रुपए का योगदान करके इतना फंड जुटाया था। ‘मंथन’ को ‘बेस्ट फीचर फिल्म’ और ‘बेस्ट स्क्रिनप्ले’ का राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार मिला था।

कवि बनना चाहते थे एक्टर

गिरीश कर्नाड को कभी एक्टिंग में रुचि नहीं थी। उन्होंने एक बार कहा था, ‘मैं कवि बनना चाहता था लेकिन मेरी रुचि थिएटर में भी थी, मेरा नाटक लेखक बनने का कोई इरादा नहीं था। स्कॉलरशिप मिलने के बाद मैं लंदन पहुंचा। उस समय एक धारणा थी कि यदि मैं विदेश जाऊंगा, तो मैं विदेश की किसी गोरी मेम से शादी कर लूंगा। तभी एक दिन मेरे मन में ययाति लिखने का विचार आया। इसके बाद जिंदगी में कई मोड़ आए।’

फिल्म मंथन में क्या था खास?

निर्देशन की दुनिया में अमिट छाप छोड़ने वाले श्याम बेनेगल का अनूठा प्रयोग थी फिल्म ‘मंथन’ (Manthan)। इस फिल्म के निर्माण के लिए गुजरात के पांच लाख किसानों ने दो-दो रुपये का चंदा दिया था। फिल्म शहर में रहने वाले पशु चिकित्सक डॉ. मनोहर राव (गिरीश कर्नाड) की कहानी थी।
डॉ. राव डेयरी को आपरेटिव स्थापित करने के लिए गुजरात के एक गांव में जाते हैं। किसानों को ऊपर उठाने की उनकी कोशिशें व्यापारी और गांव के सरपंच के गठजोड़ वाली स्थानीय सत्ता को हिला देती हैं। गिरीश कर्नाड ने अपने कसे हुए अभिनय से इस पर्दे पर ना सिर्फ पात्र के संघर्ष को उकेर दिया था बल्कि दर्शकों के लिए भी इस फिल्म को देखना झकझोर देने वाला अनुभव बन गया था। इस फिल्म में नसीरुद्दीन शाह और स्मिता पाटिल भी थे।
फिल्म का संदेश था- सोच विचार से वोट डालना। आज भारतीय लोकतंत्र में ये संदेश और भी अहम हो जाता है। यूं तो ये फिल्म 5 दशक पहले बनीं थीं, लेकिन ये आज भी हकीकत के करीब लगती है।

10 जून 2019 को दुनिया से कहा अलविदा

गिरीश कर्नाड ने हिंदी फिल्मों में भी अपना हाथ अजमाया और इसमें भी सफलता पाई। हिंदी में उन्होंने ‘निशांत’, ‘मंथन’ और ‘पुकार’ जैसी फिल्में कीं। इसके अलावा सलमान खान (Salman Khan) के साथ वो ‘एक था टाइगर’ (Tiger)और ‘टाइगर जिंदा है’ ( Tiger Zinda Hai) में भी दिखाई दिए थे, यही उनकी आखिरी हिंदी फिल्म भी थी। उनकी आखिरी फिल्म कन्नड़ भाषा में बनी ‘अपना देश’ थी। गिरीश कर्नाड ने 10 जून 2019 को इस दुनिया को अलविदा कह दिया। लेकिन उनकी कला और अभिनय ने उन्हें अमर कर दिया है। ये उनके अभिनय का ही दम है कि आज दुनिया के सबसे प्रतिष्ठित फिल्म समारोह में उनकी फिल्म की चर्चा हो रही है।

Hindi News/ Entertainment / Bollywood / ‘मालगुड़ी डेज’ में ‘स्वामी’ के पिता के किरदार के लिए किया जाता है याद, अब Cannes Film Festival 2024 में क्यों हो रही है चर्चा?

ट्रेंडिंग वीडियो