Durga Ashtami: तिथियों की घटा बढ़ी के कारण दो दिन अष्टमी…क्यो बनी असमंजस की स्थिति..क्या रहेगा श्रेष्ठ
मुहूर्त ..पढ़िए यह खबर… कुंए के आस पास नगर परिषद ने लोहे की जालियां लगा दी। सुरक्षा के लिहाज से यह जाली तो सही है लेकिन जाली के बीच अगर गेट होता तो इन मूक परिंदो के लिए पानी की व्यवस्था सरल हो जाती है। कबूतरों की सेवा करने वाले 18 वर्षीय राजू की पीड़ा है कि उन्हें नियमित पानी नही मिल पा रहा। पानी के लिए जाली को पार करना पड़ता है जिससे कपड़े लोहे की जाली से उलझ कर फट जाते है, कई बार राजू इस चोटिल भी हो चुका। परिषद से गुहार लगाने के बाद भी लोहे की जाली पर गेट नही निकल पाया। ऐसे में लोगो की मांग है कि जल्द ही यहां गेट निकाला जाए।विश्व गौरेया दिवस – प्यासे पंछियों को पानी पिलाएं आओ इस आदत को संस्कार बनाएं….
यही से पानी की कनेक्टिविटी हुआ करती थी लेकिन खाई भरने के बाद आपस में कनेक्शन टूट गया और समय के साथ इस परिधि में आने वाले कुंए बावड़ी समय के साथ अपना अस्तित्व खो चुकी। 15 साल से कर रहें कबूतर की सेवा- चाय बेचने के साथ यहां राजू पिछले 15 सालों से कबूतरों की सेवा करने में लगा है।कुदरती सुंदरता को बढ़ा रहें,पलाश के फूल
कबूतरों के लिए नियमित दाने पानी की व्यवस्था व साफ-सफाई का जिम्मा निभाते है। कुंए के आस पास की परिक्रमा में कबूतरों की अठेखिलयां बरबस लोगो को आकर्षित करती है। कुंए के आस पास करीब 1500 कबूतर डेरा जमाए रहते है। लेकिन अब नियमित दाने पानी की व्यवस्था नही हो पा रही है।अभिमन्यु भाटिया बुजूर्ग बाहरली निवासी