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बुरहानपुर

ताप्ती सूखने पर दिखने लगा राजा जयसिंह का बनवाया हाथी

– 350 साल पहले बनाया था हाथी- मासीर ए रहीम किताब में हाथी का जीक्र

बुरहानपुरJun 07, 2019 / 09:54 pm

ranjeet pardeshi

Tapti started appearing when King Jaisingh became the elephant

Tapti started appearing when King Jaisingh became the elephant

बुरहानपुर. दस साल बाद फिर ताप्ती नदी पूरी तरह सूख गई। राजघाट पर बना पत्थर का हाथी भी पूरी तरह आकार दिखने लगा। इसी हाथी की कहानी भी प्राचीन है। राजा जयसिंह ने राजघाट पर बीच नदी में पड़े पत्थर को हाथी के रूप में शक्ल दी थी, क्योंकि युद्ध में उनका एक हाथी मारा गया था, इसी की यादे जिंदा रखने के लिए 350 साल पहले यह हाथी बनवाया था। तब से आज तक नदी में कई बार बाढ़ आ गई, लेकिन हाथी अपनी जगह से नहीं डगमगाया, लेकिन इसकी हालत जर्जर जरूर हो गई।
इतिहासकार कमरुद्दीन फलक ने बताया कि एक पुस्तक है मासीर ए रसीम। इस पुस्तक में पता चलता है कि बुरहानपुर फारुखियों के पहले ही बसा हुआ था। मासीर ए रहीम में लिखा है बुरहानउद्दीन गरीब दिल्ली से आ रहे थे, जो खानदेश की ओर जा रहे थे। बीच में ताप्ती नदी पार करने लगे तो यह बीच पर पत्थर दिखा जिससे पता चला की यहां किनारे पर एक बस्ती बसती थी। पत्थर यह साबित करता है कि बुरहानपुर फारुखियों के पहले बसता था। बाद में जब फारुखियों का दौर आया तो उन्होंने राजघाट पर पत्थर आड़ा तेड़ा था उसे मटेरियल डालकर प्लेन कर दिया था।
राजा जयसिंह रुके थे बुरहानपुर
फखरुद्दीन फलक इतिहास के अनुसार बताते हैं कि शिवाजी औरंगजेब की गिरत से निकल गए थे और राजा जयसिंह के बेटे पर उन्हें जेल से भगाने का आरोप लगा था। बाद में औरंगजेब यह आरोप सिद्ध नहीं कर पाए। राजा जयसिंह अपनी फौज के साथ बुरहानपुर में रुके रहे। उसी समय राजा जयसिंह ने राजघाटका निर्माण कराया था और यहां बने पत्थर को भी हाथी की शक्ल दे दी। इसी समय राजा जयसिंह की छतरी, राजपूरा गेट, राजघाट, राजघाट से जयसिंहपुरा इतना पूरा हिस्सा राजा जयसिंह के नाम है, जिसे साउथ बुरहानपुर कहते हैं।
यह भी किदवंती
इतिहासविद होशंग हवलदार बताते हैं कि हाथी निर्माण के पीछे कईकिदवंती है। इसमें बताया जाता है कि अकबर बादशाह ने अपने विजय प्रतीक के रूप में नदी पर यह हाथी बनाया था। यह भी कहा जाता है कि शहजादा खुर्रम बुरहानपुर में गुलआरा बेगम के प्यार में पड़ गए। जब अर्जुमन बानो के पिता याने शहजादा के ससुर को यह बात पता चली तो उन्होंने ढक्कन फतह करने के लिए शहजादा खुर्रम को युद्ध के लिए आगे पहुंचाया। इसी समय गुलआरा की मौत ताप्ती के राजघाट पर बोटिंग के समय हुई थी। जहां लोगों ने शहजादा को बताया था कि नदी में आए एक भंवर के कारण गुलआरा यहां डूबी थी। तभी शहजादा ने यहां अन्य लोगों को बचाने के लिए हाथी बनवाया था। यह १६१२ का किस्सा मालूम पड़ता है।
चार साल से नहीं आई बड़ी बाढ़
ताप्ती नदी में पिछले चार साल में बड़ी बाढ़ नहीं आई। नदी में बाढ़ आने पर पानी परकोटे के अंदर घुसकर रहवासी इलाके तक आ जाता था, लेकिन कुछ वर्षों से खतरे के निशान से कुछ ऊपर तक ही पानी आ रहा है। बाढ़ आने पर ताप्ती का जलस्तर 228 मीटर तक पहुंच जाता है। लेकिन चार साल में नदी का जल स्तर 222 मीटर से ज्यादा नहीं पहुंचा है। जबकि इसका सामान्य जल स्तर २१३ मीटर है।

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