8वें वेतन आयोग से सरकारी कर्मचारियों को बड़ी राहत की उम्मीद है। पहले वेतन आयोग में सिर्फ 55 रुपये थी न्यूनतम बेसिक पे।
1946 से लेकर अब तक 7 वेतन आयोग आ चुके हैं, जिनमें 1946-47 में आए सबसे पहले वेतन आयोग ने बेसिक पे में अधिकतम इंक्रीमेंट 2000 रुपये का किया था। उसके बाद 2016 में आए 7वें वेतन आयोग में अधिकतम बेसिक पे बढ़कर ढाई लाख रुपये हो गई थी। वहीं न्यूनतम बेसिक की बात करें तो यह 55 रुपये महीने से बढ़कर 18000 रुपये महीना हो गई थी। लेकिन केंद्रीय कर्मचारियों की नजरें अब 8वें वेतन आयोग पर टिकी हैं, जिसमें एक्सपर्ट उनको अब तक का सबसे बड़ा सैलरी इंक्रीमेंट मिलने का अनुमान जता रहे हैं।
संयुक्त कर्मचारी परिषद के महामंत्री आरके वर्मा के मुताबिक 8th Pay Commission की सिफारिशें आना बाकी हैं, लेकिन शुरुआती संकेतों में 8वां वेतन आयोग कर्मचारियों के न्यूनतम वेतन को 18,000 से बढ़ाकर 51,480 तक कर सकता है। यानी 30 से 34 फीसदी तक की भारी बढ़ोतरी, जो अब तक का सबसे बड़ा इंक्रीमेंट हो सकता है। यह अनुमान ब्रोकरेज हाउस एंबिट ने जताया है।
1- फिटमेंट फैक्टर : ब्रोकरेज हाउस के मुताबिक 8th Pay Commission Fitment Factor 2.28 से 2.86 के बीच रहने की संभावना है। 7वें वेतन आयोग में इसे 2.57 और 6वें में 1.86 किया गया था।
2- DA, HRA और Transport Allowance : इन भत्तों में मुद्रास्फीति की अनुमानित दर और कॉस्ट ऑफ लिविंग को ध्यान में रखकर नए सिरे से तय होंगे।
3- कब से होना है लागू : केंद्र सरकार ने 8th Pay Commission के लागू होने की तारीख 1 जनवरी 2026 तय की है, लेकिन अभी आयोग के सदस्य और Terms of Reference (ToR) का काम बाकी है। आयोग के सदस्य और अध्यक्ष तय होने के बाद करीब दो साल का समय लगेगा। उसके बाद सरकार आयोग की सिफारिशों पर सोच-समझकर फैसला लेगी और लागू करेगी।
| वेतन आयोग | अंतराल | न्यूनतम बेसिक रुपये में | अधिकतम बेसिक रुपये में |
| 1st | मई 1946 – मई 1947 | 55 | 2000 |
| 2nd | अगस्त 1957 – अगस्त 1959 | 80 | – |
| 3rd | अप्रैल 1970 – मार्च 1973 | 185 | – |
| 4th | सितंबर 1983 – दिसंबर 1986 | 750 | – |
| 5th | अप्रैल 1994 – जनवरी 1997 | 2550 | – |
| 6th | अक्टूबर 2006 – मार्च 2008 | 7000 | 80000 |
| 7th | फरवरी 2014 – नवंबर 2016 | 18000 | 2,50,000 |
| आयोग | वर्ष | न्यूनतम बेसिक वेतन (रुपये में) | औसत महंगाई दर | जीवनशैली पर असर |
| 5वां | 1997 | 2550 | 7% (1996–2000) | थोड़ी राहत, सीमित वृद्धि |
| छठा | 2008 | 7000 | 8–10% (2007–2011) | बड़ा बदलाव, पे बैंड की शुरुआत |
| 7वां | 2016 | 18000 | 5–6% (2015–2020) | उल्लेखनीय सुधार, पे मैट्रिक्स लागू |
| 8वां (प्रस्तावित) | 2026 | 51,480 (संभावित) | 6–7% (अनुमानित) | जीवनस्तर में बड़ी छलांग की उम्मीद |
वर्मा के मुताबिक 8वें वेतन आयोग में अनुमान जताया जा रहा है कि 30–34% की सैलरी बढ़ोतरी संभव है। अगर ऐसा हुआ तो यह अब तक की सबसे बड़ा इंक्रीमेंट होगा। आयोग का मुख्य फोकस महंगाई को कवर करना, इकोनॉमिक ग्रोथ को दर्शाना और सभी वर्गों को संतुलित वेतन देना है। 7वें वेतन आयोग ने ग्रेड-पे की जगह पे मैट्रिक्स लाकर बड़ा बदलाव किया था और 6वें वेतन आयोग ने पे बैंड की शुरुआत कर के प्रशासनिक कामकाज में भी दक्षता लाई थी। बढ़ी हुई सैलरी से कर्मचारियों को बेहतर रिहाइश, स्वास्थ्य सेवाएं और जीवनशैली मिलेगी।
इन्वेस्टमेंट एक्सपर्ट अमित निगम के मुताबिक 2025 और आगे के सालों में मुद्रास्फीति की दर जहां 6 से 7 फीसदी के बीच रहने की संभावना है, वहीं सैलरी में 30 प्रतिशत से ज्यादा की बढ़ोतरी Actual Purchasing Power में बड़ा सुधार ला सकती है। बीते सालों में कर्मचारियों की आमदनी महंगाई की रफ्तार से पिछड़ती रही है। अगर यह प्रस्ताव अमल में आता है तो न सिर्फ नौकरी में स्थिरता आएगी बल्कि कर्मचारी आर्थिक रूप से ज्यादा सशक्त महसूस करेंगे।