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बाजार जब ऊपर-नीचे जाए तो हाइब्रिड फंड धन को ऐसे बचाए, जानें क्या करें निवेशक?

भारतीय शेयर बाजार पिछले कुछ समय से भारी उतार-चढ़ाव चल रहा है। सेंसेक्स की भारी गिरावट ने निवेशकों को झकझोर दिया। शेयरों के भाव ऊंचे हैं और भविष्य में उठापटक की आशंका भी है, इसलिए निवेशक मल्टी-ऐसेट फंड पर भी विचार कर सकते हैं।

Jan 31, 2024 / 11:51 am

Shaitan Prajapat

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शेयरों का मूल्यांकन अधिक होने से भारतीय शेयर बाजार पिछले कुछ समय से भारी उतार-चढ़ाव दिख रहा है। सेंसेक्स में 17 जनवरी को 1600 अंक, 19 जनवरी को 1300 अंक और 30 जनवरी को 800 अंक से भी अधिक की गिरावट ने निवेशकों को झकझोर दिया। गिरावट इसलिए भी परेशान कर रही है क्योंकि बाजार रिकॉर्ड ऊंचाई पर चल रहे हैं। इस उठापटक की सबसे ज्यादा मार इक्विटी म्यूचुअल फंड में निवेश करने वालों पर पड़ी है, क्योंकि उनके पोर्टफोलियो की कीमत एकाएक कम हो गई। ऐसे में म्युचुअल फंड की कुछ श्रेणियां उतार-चढ़ाव की तपिश को कम कर सकती हैं।

बैलेंस्ड एडवांटेज फंड

इन्हें डायनमिक ऐसेट अलोकेशन फंड भी कहा जाता है। बॉन्ड और शेयर जब किफायती भाव पर मिलते हैं, उस समय ये फंड उनमें निवेश कर देते हैं। शेयर और बॉन्ड में कितना-कितना निवेश करना है, इसका फैसला करने के लिए फंड कंपनियां कीमत और चाल जैसे अलग-अलग पहलुओं पर नजर रखने वाले मॉडलों का इस्तेमाल करती हैं। फंड मैनेजर इनके हिसाब से ही शेयर और बॉन्ड चुनकर पोर्टफोलियो तैयार करते हैं।

क्या होती है रणनीति

वॉलेट वेल्थ के सीईओ एस श्रीधरन ने बताया, बैलेंस्ड एडवांटेज फंड बाजार में तेजी या गिरावट के हिसाब से पोर्टफोलियो आवंटन बदलकर जोखिम कम कर देते हैं और रिटर्न बेहतर हो जाता है। इस समय शेयरों के भाव ऊंचाई पर चल रहे हैं, इसलिए बैलेंस्ड एडवांटेज फंडों ने शेयरों में आवंटन कम कर दिया है और बॉन्ड में ज्यादा रकम लगा रहे हैं। आवंटन घटाने-बढ़ाने का यह काम इन फंडों में लगातार चलता रहता है और निवेशकों को ज्यादा सुरक्षित रिटर्न मिल जाता है।

मल्टी-ऐसेट फंड

शेयरों के भाव ऊंचे हैं और भविष्य में उठापटक की आशंका भी है, इसलिए निवेशक मल्टी-ऐसेट फंड पर भी विचार कर सकते हैं। ये फंड शेयरों, बॉन्डों, सोना और अंतरराष्ट्रीय शेयरों में रकम लगाते हैं। गेनिंग ग्राउंड इन्वेस्टमेंट के रवि कुमार टीवी ने बताया, अलग-अलग संपत्ति श्रेणी अलग-अलग समय पर बेहतरीन प्रदर्शन करती है, इसलिए निवेश में विविधता बरतना अंत में अच्छा ही रहता है। अलग-अलग एसेट्स में निवेश से पोर्टफोलियो भी मजबूत होता है।

इक्विटी सेविंग्स फंड

ये फंड कम से कम 15 प्रतिशत और अधिक से अधिक 35 प्रतिशत रकम शेयरों में लगाते हैं। बाकी रकम बॉन्ड और आर्बिट्राज में इस्तेमाल की जाती है। वित्तीय सलाहकार पारुल माहेश्वरी ने बताया, जो निवेशक ज्यादा जोखिम नहीं चाहते, वे इक्विटी सेविंग्स फंड चुन सकते हैं। क्योंकि ये शेयर, आर्बिट्राज और फिक्स्ड इनकम में मिला-जुला निवेश करते हैं। इक्विटी सेविंग्स फंड और बैलेंस्ड एडवांटेज फंड का शेयरों में शुद्ध निवेश बेशक कम हो, हाजिर और वायदा आर्बिट्राज के जरिए ये 65 प्रतिशत से अधिक रकम शेयरों में ही लगाते हैं।

क्या करें निवेशक…

डेट में ज्यादा निवेश करने से जोखिम कम हो जाता है और पूंजी भी महफूज रहती है। लॉन्ग टर्म के लिए निवेश करने वाले अपनी 70 प्रतिशत रकम शॉर्ट या मिड ड्यूरेशन डेट फंड में लगा सकते हैं। बाकी रकम फ्लेक्सी-कैप फंड में डाली जा सकती है। सथ ही निवेशक लार्ज कैप शेयरों वाले फंडों में रकम लगाएं क्योंकि उनसे लॉन्ग टर्म में अच्छा मुनाफा होता है। बाजार कितना भी ऊपर हो, शेयरों और इक्विटी म्युचुअल फंडों में एसआइपी निवेश जारी रखें। एकमुश्त रकम लगानी हो तो बैलेंस्ड एडवांटेज फंड या मल्टी-ऐसेट फंड चुनें।

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