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राज्य अपनी मर्जी से Motor Vehicle Act में निर्धारित जुर्माने को कम नहीं कर सकते : अटॉर्नी जनरल

नए मोटर वाहन अधिनियम के तहत बिना हेलमेट या सीटबेल्ट पहने गाड़ी चलाना, बिना इंश्योरेंस वाली गाड़ी चलाना, आपातकालीन वाहनों का रास्ता रोकना जैसी बातें चालान की सीमा में आती है

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नई दिल्ली: जब से संशोधित Motor Vehicle Act लागू हुआ है तभी से सभी लोग इस एक्ट के तहत नर्धारित की गई जुर्माना राशि से परेशान हैं। जिसके चलते कई राज्यों ने अपने राज्य में अपनी मर्जी से इसमें कमी कर दी है। गुजरात भी ऐसा ही एक राज्य है और इसके बाद केंद्रीय कानून मंत्रालय ने केंद्रीय कानून के क्रियान्वयन पर राज्य सरकार की शक्तियों पर अटॉर्नी जनरल वेणुगोपाल से कानूनी सलाह मांगी थी। साथ ही राज्य सरकारों के जुर्माना घटाने के मसले पर भी राय मांगी। लेकिन अब ऐसा करना गैरकानूनी माना जाएगा।

भारत सरकार के मुख्य कानूनी सलाहकार अटॉर्नी जनरल के के वेणुगोपाल ने कहा है कि नए मोटर वाहन अधिनियम (Motor Vehicle Act) के तहत यातायात नियम के उल्लंघन पर अधिसूचित किए गए न्यूनतम जुर्माने को राज्य सरकारें कम नहीं कर सकती हैं।

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वेणुगोपाल ने कहा कि चूंकि संशोधित मोटर वाहन एक्ट एक संसदीय कानून है, इसलिए राज्यों में राष्ट्रपति की सहमति के बिना केंद्रीय कानून के वैधानिक प्रावधान के तहत जुर्माना तय करने के लिए कोई कानून पारित नहीं किया जा सकता है।

अटॉर्नी जनरल कहा कि संविधान के अनुच्छेद 256 के तहत, केंद्र सरकार राज्यों को निर्देश जारी कर सकती है कि वे मानदंडों का पालन करें।

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नए मोटर वाहन अधिनियम के तहत बिना हेलमेट या सीटबेल्ट पहने गाड़ी चलाना, बिना इंश्योरेंस वाली गाड़ी चलाना, आपातकालीन वाहनों का रास्ता रोकना जैसी बातें चालान की सीमा में आती है हालंकि इनके लिए अदालत जाने की जरूरत नहीं होती है। आपकतो मालूम हो कि हाल ही में गुजरात सरकार ने शहरी क्षेत्रों में हेलमेट लगाने की बाध्यता भी खत्म कर दी है।