
IIM Bangalore
IIM Bangalore के एक फैसले की वजह से वहां पढऩे वाले छात्र इस समय परेशान हैं और विरोध कर रहे हैं। कुछ दिनों पहले ही उन्हें एक मेल से सूचना दी गई कि वो सभी अपने ग्रेजुएशन सर्टिफिकेट पर छपने वाले हिंदी नाम को प्रामाणिक करा लें।
इसको लेकर पूर्व छात्रों ने भी विरोध जताया है। छात्रों की शिकायत है कि विदेशों में पढ़ाई या नौकरी के लिए आवेदन करने पर इस भाषा को समझेगा कौन? हालांकि IIM Bangalore ने किसी भी प्रकार के विरोध से इंकार किया है। उनका कहना है कि इस मामले पर अभी हम लोग विचार कर रहे हैं लेकिन किसी भी छात्र को इसके लिए बाध्य नहीं किया गया है। आईआईएम का कहना है कि जिन लोगों को इस पहल से आपत्ति होगी, उनसे बात करके रास्ता निकालने की कोशिश की जाएगी।
देखा जाए तो विकल्पों पर भी मंथन किया जायेगा। IIM Bangalore ने डिग्री पर छपाई के लिए हिंदी भाषा को तरजीह दी है। मातृभाषा उपाधि पर हो तो बेहतर है लेकिन देश से बाहर नौकरी के लिए जाने वाले विद्यार्थियों के लिए थोड़ी मुश्किल भरी हो सकती है। विद्यार्थियों का कहना है की विदेशों में हिंदी पढ़ेगा कौन। डिग्री पर लिखी हुई जानकारी को कौन समझ पायेगा।
IIM Bangalore : देखा जाये तो बड़े संस्थानों के विद्यार्थी देश से बाहर नौकरियों के लिए जाया करते है। अच्छे पैकेज और नौकरी की तलाश में विदेशों में भारत से जाने वाले विद्यार्थी बड़ी संख्या में होते हैं। उन्हें उनकी काबिलियत के दम पर नौकरी मिलती भी है। लेकिन अब इंटरनेशनल लैंग्वेज की जगह मातृभाषा में डिग्री छपी होने के कारण उन्हें थोड़ी समस्या हो सकती है। IIM Bangalore भी छात्रों के विरोध देखते हुए विकल्पों पर विचार करेगा। या तो दोनों भाषाओं में डिग्री छापी जायेगी या अन्य कोई विकल्प खोजा जायेगा।
Published on:
04 Feb 2018 02:11 pm
बड़ी खबरें
View Allकॅरियर कोर्सेज
शिक्षा
ट्रेंडिंग
