
Tourism
आज दुनिया एक विशिष्ट आर्थिक संकट के दौर से गुजर रहा है। रोजगार के परंपरागत साधन असर खो रहे हैं। ऐसे में अब नए क्षेत्रों की तलाश की जा रही है जो न केवल रोजगार दे सकें, बल्कि दुनिया को आर्थिक संकट के दौर से भी निकाल सकें। ऐसा ही क्षेत्र पर्यटन है। यह क्षेत्र न केवल बड़े स्तर पर रोजगार प्रदान करता है, बल्कि श्रमशक्ति को पलायन से भी रोकता है।
रोजगार के कई अवसर
पर्यटन के विकसित होने से बड़ी संख्या में रोजगार का सृजन होता है। यात्रा, परिवहन, होटल, रेस्टोरेंट, आतिथ्य, मोन्यूमेंटल संरक्षण, गाइड, स्थानीय व्यवसाय, हस्तशिल्प, वस्त्र उद्योग सहित पर्यटकों की आवश्यकताओं और रुचि के कई क्षेत्रों में रोजगार के अवसर हैं। आजकल स्वास्थ्य, शिक्षा, सेमीनार के क्षेत्र भी इसके पूरक बनकर उभरे हैं। एक अनुमान के अनुसार पर्यटन क्षेत्र में प्रति 10 लाख रुपए के निवेश पर रोजगार के 78 नए अवसर उत्पन्न होते हैं। वहीं मैन्यूफैक्चङ्क्षरग के क्षेत्र में इतनी ही राशि का निवेश करने पर रोजगार के 45 अवसर सृजित होते हैं।
पर्यटन कोर्सेज की आवश्यकता
पर्यटन की दृष्टि से राजस्थान, मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ जैसे राज्यों की एक विशिष्ट छवि विश्व मानचित्र पर अंकित हो चुकी है। समस्या यह है कि हमारे विश्वविद्यालयों में टूरिज्म के बहुत ज्यादा कोर्सेज मौजूद नहीं है और यदि हैं भी तो अधिकतर यूनिवर्सिटीज में टूरिज्म, ट्रेवल और हॉस्पिटैलिटी के कोर्सेज उपलब्ध नहीं हैं। ट्रैवल, टूरिज्म और हॉस्पिटैलिटी इंडस्ट्री ऐसी इंडस्ट्री है जो निरंतर आगे बढ़ रही है। इसमें मंदी की आशंका बहुत ही कम है। आज के परिवेश और भाग-दौड़ भरी जिंदगी में यह इंडस्ट्री अधिक डिमांड में आएगी।
योग्यता
ट्रैवल, टूरिस्म और हॉस्पिटैलिटी के कोर्सेज को डिजाइन करते समय यह आवश्यक है कि अपने राज्य की विशेषताओं के साथ साथ नई तकनीक, मार्केटिंग और स्ट्रैटेजी से स्टूडेंट्स अवगत हों। साथ ही स्टूडेंट्स के कम्यूनिकेशन स्किल्स बहुत ही बेहतरीन होनी चाहिए और उन्हें कम से कम एक विदेशी भाषा का ज्ञान होना चाहिए।
प्रमुख पाठ्यक्रम
एमबीए (ट्रैवल एंड टूरिज्म मैनेजमेंट)
डिप्लोमा (ट्रैवल, टूरिज्म एंड हॉस्पिटैलिटी)
बीबीए (ट्रैवल एंड टूरिज्म)
- डॉ. अनुकृति शर्मा (असोसिएट प्रोफेसर, यूनिवर्सिटी ऑफ कोटा)
तैयारी है जरूरी
राजस्थान में इस इंडस्ट्री के विस्तार को देखते हुए ट्रैवल, टूरिस्म और हॉस्पिटैलिटी के कोर्सेज शुरू किए जाने चाहिए, ताकि स्टूडेंट्स को रोजगार के अवसर मिलें। यह इंडस्ट्री जेंडर सेंसेटिविटी को भी बढ़ावा देती है और लड़कों व लड़कियों दोनों के लिए समान अवसर प्रदान करती है यानी इस इंडस्ट्री में जितनी आवश्यकता लड़कों की है, उतनी ही आवश्यकता लड़कियों की भी है। राजस्थान की परंपरा, संस्कृति, शैली, लोकनृत्य, पकवान इतनी पृथक है कि इनको पढऩा स्टूडेंट्स के लिए बहुत जरूरी है, ताकि वे उनमें विशेषज्ञता प्राप्त कर सकें और अतिथियों को हमारे गौरवपूर्ण अतीत से रूबरू करवा सकें। साथ ही हमारे शिल्प व स्थापत्य कला के बारे में पर्यटकों को बता सकें, उनकी आवभगत कर सकें, उन्हें अविस्मरणीय अनुभव दे सकें।
Published on:
08 Oct 2017 07:44 pm
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