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चेन्नई

रेत खदानों में लगें सीसीटीवी कैमरे : हाईकोर्ट

– न्यायालय ने प्रशासन को दिया सुझाव ताकि तस्करी रुके

चेन्नईJul 21, 2021 / 08:25 pm

P S VIJAY RAGHAVAN

Madras High court onslaughter in Tamilnadu

Madras High court onslaughter in Tamilnadu


चेन्नई. उच्च न्यायालय ने प्रशासन को अवैध रेत तस्करी को रोकने के लिए रेत खदानों और रेत संग्रह केंद्रों में सीसीटीवी कैमरे लगाने की संभावना पर गौर करने का निर्देश दिया है।

उच्च न्यायालय की मदुरै शाखा में तिरुनेलवेली अंबाई के पास पोट्टाला गांव के रहने वाले के वी. क्रिस्टी ने याचिका दायर की।

उन्होंने याचिका में कहा कि पोट्टल गाँव में, एम सैंड के नाम से नदी रेत की तस्करी केरल की जा रही है। प्रतिदिन 50 से अधिक टिपर ट्रकों में नदी की रेत केरल ले जाई जाती है। राजस्व अधिकारियों और पुलिस की कथित मिलीभगत से यह काम हो रहा है। जिला कलक्टर को शिकायत किए जाने के बाद भी कोई कार्रवाई अभी तक नहीं हुई है। लिहाजा हाईकोर्ट से गुजारिश है कि वह सख्त निर्देश जारी करें। स्थानीय स्तर पर पुलिस ने दो जनों को गिरफ्तार किया है जिनका तस्करी से कोई लेना-देना नहीं है। यह सबकुछ रेत माफियाओं के पक्ष में किया जा रहा है। हाईकोर्ट मामले की जांच स्थानीय पुलिस के बजाय सीबी-सीआइडी से कराए।
एक अन्य याचिका में कल्लिडैकुरिची के शिवशंकर ने कहा, “केरल के मानुअल जॉर्ज को वंदला धारा बांध के पास एम रेत खदान चलाने की अनुमति दी गई है। वह अवैध रूप से खनन में लगा है तथा रोजाना की ३०० लॉरी की लोडिंग हो रही है जिसे रोका जाना चाहिए। अवैध खनन की वजह से इलाके का जलस्तर लगातार गिरता जा रहा है। बांध की दीवारें भी ताकत गंवा रही है।

दोनों याचिकाओं पर सुनवाई के बाद जस्टिस एन. कृपाकरण और पी. पुगलेंदी की न्यायिक पीठ ने आदेश जारी किया कि मानुअल जॉर्ज को बालू संग्रहण केंद्र चलाने का लाइसेंस दिया गया है। उसने अवैध रूप से नदी की रेत का खनन किया है। उसके समेत 23 लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है। मामले में गिरफ्तार लोगों के पास से कुल 243 सरकारी होलोग्राम जब्त किए गए, जिन पर अधिकारियों ने हस्ताक्षर नहीं किए थे। अपराधियों से अवैध बालू तस्करी के लिए अधिकारियों को कितना पैसा मिला इसका विवरण वाला एक रिकॉर्ड जब्त किया गया है। हालांकि इसकी जांच नहीं की गई।

सीबी-सीआडी जांच
हाईकोर्ट ने कहा कि कल्लिडैकुरिची थाना निरीक्षक ने मामले में सही अनुसंधान किया है। लेकिन खनन, कृषि और राजस्व विभाग के अधिकारियों की लिप्तता की आशंका की वजह से मामले की जांच सीबी-सीआइडी के हवाले की जाती है।

न्यायालय के सवाल
क्या परमिट देते वक्त अधिकारी नियमित निरीक्षण अथवा औचक जांच करते हैं? लाइसेंस निर्गम की उचित प्रक्रिया की पालना हो रही है? इन सवालों की जांच करने का आदेश देते हुए न्यायिक पीठ ने सभी खदानों और बालू संग्रहण स्टेशनों में सीसीटीवी कैमरे लगाने की संभावना तलाशी जाने का विचार रखा।

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