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चेन्नई

सैलानियों की मांग पर मेट्टूपालयम -कुन्नूर समर स्पेशल ट्रेन 31 से

मंडल रेल प्रबंध हरिशंकर वर्मा के अनुसार समर स्पेशल ट्रेन का संचालन 31 मार्च से 24 जून तक किया जाएगा…

चेन्नईMar 14, 2018 / 03:00 pm

Arvind Mohan Sharma

 Mettupalayam- Kunnur Summer Special Train
कोयम्बत्तूर. विरासत प्रेमियों और सैलानियों की मांग को देखते हुए सेलम रेलवे मंडल मेट्टूपालयम व कुन्नूर के बीच समर स्पेशल ट्रेन संचालित करेगा। इस में विशेष रुप से नीलगिरी माउंटेन रेलवे के पुराने स्टीम इंजन लगाए जाएंगे। मंडल रेल प्रबंध हरिशंकर वर्मा के अनुसार समर स्पेशल ट्रेन का संचालन 31 मार्च से 24 जून तक किया जाएगा। यह सिर्फ शनिवर व रविवार को ही चलेगी। इस अवधि के दौरान ट्रेन के कुल ५२ फेरे होंगे। ग्रीष्मकालीन विशेष रेलगाड़ी 2 प्रथम श्रेणी कोच ,एक चेयर कार कोच द्वितीय श्रेणी का होगा। यह पूरी तरह से आरक्षित रेलगाड़ी होगी।बिना रिजर्वेशन के इसमें सवारी नहीं की जा सकेगी। यह ट्रेन मेट्टुपलायम से सुबह 9 .10 बजे रवाना होगी। और दोपहर12.30 बजे कुन्नूर पहुंचेगी। इस बीच में ट्रेन का ठहराव काल्लार, हिलग्राव में होगा। वापसी में ट्रेन कूनूर से दोपहर13.30 बजे चलेगी और 16.20 बजे मेट्टुपलायम आ जाएगी। स्पेशल ट्रेन के लिए अग्रिम बुकिंग बुधवार से शुरू होगी।

नींबू की फसल में लगा उत्तरी राज्यों का रोग
कोयम्बत्तूर. कोयम्बत्तूर और ईरोड में नींबू उत्पादक किसान एक नए रोग से परेशान हैं। इससे उपज तो घट ही रही है। पेड़ भी सूखते जा रहे हैं।इसकी जानकारी जब कोयम्बत्तूर कृषि विश्व विद्यालय को मिली तो यहां पौधे मंगा कर जांच की गई। कृषिवैज्ञानिकों को एक ऐसी बीमारी का पता लगा जो अभी तक तमिलनाडु में इससे पहले देखी नहीं गई थी। इस रोग के कारण नींबू के फूल सूख जाते हैं । पत्ते पीले हो कर गिर जाते हैं। यहां तक कि इन पौधों में लगने वाले नींबू के फल छोटे होते हैं । रोग के कारण धीरे-धीरे पौधे भी सूख जाते हैं। कृषि विश्वविद्यालय ने कहा कि यह रोग अन्य राज्यों से रोपाई के लिए लाए गए नींबू के पौधे के साथ आया हो सकता है। विश्वविद्यालय में जब इन पौधों की जांच की गई तो इनकी जड़ों में विभिन्न आकारों की कई गांठें पाईगई।यह दरअसल मिलयोटोकैन इंडिका कृमि होते हैं जो आम तौर पर राजस्थान और गुजरात में पाए जाते हैं।
इनके कारण कोयम्बत्तूर और ईरोड में नींबू की फसल व्यापक रूप से प्रभावित हुईहैं। विश्वविद्यालय ने किसानों से कहा है कि वे बागान की मिट्टी लाए। उसकी भी जांच की जाएगी। विश्वविद्यालय रोग से बचाव के उपाय सुझाएगा।
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