पुलिस के अनुसार, परिजन द्वारा दिये बयान से ये बात तो सामने आई है कि, युवक कई दिनों से आर्थिक तंगी और बीमारी से परेशान चल रहा था। लेकिन, फांसी के फंदे पर झूलते शव की जेब से कुछ दवाइयां मिली हैं। साथ ही, उसने ऐप्रिन पहन रखा था और गले में स्टेथोस्कोप भी डला था। अब सवाल ये है कि, जब उसे आत्महत्या करनी ही थी, तो उसने ऑपरेशन थिएटर को क्यों चुना? वहीं, एप्रिन और स्टेथोस्कोप उसने मरने से पहले वैसे ही पहन लिया था या उसका कोई उद्देश्य था। इसपर पुलिसियां जांच की जा रही है।
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पूरी ड्यूटी करने के बाद की आत्महत्या
पुलिस के अनुसार, शहर के बेनीगंज मोहल्ले के रहने वाला धर्मदास मेहरोलिया छतरपुर जिला अस्पताल में अस्थाई कर्मचारी के तर पर कार्यरत था। वो यहां सफाई का कार्य करता था। शनिवार को वो अपनी निर्धारित ड्यूटी के समय पर अस्पताल आया, इसके बाद रात 8:30 बजे तक उसने अपनी ड्यूटी की अवधि तक पूरा काम भी किया। अपनी ड्यूटी खत्म करके वो अस्पताल की तीसरी मंजिल पर स्थित ऑपरेशन थिएटर में गया। यहां खाली पड़े ऑपरेशन थिएटर में उसने पंखे फंदा लगाकर फांसी लगा ली। देर रात को जब नाइट ड्यूटी पर तैनात मनसुख ने ऑपरेशन थिएटर का दरवाजा खोला, तो मामले का खुलासा हुआ।
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परिवार ने बताई ये वजह
मामले को लेकर डीएसपी शशांक जैन ने बताया कि, धर्मदास अस्पताल का स्थायी कर्मचारी के तौर पर कार्यरत था। पुलिस द्वारा शव की तलाशी ली गई, जिसमें उसकी जेब से कुछ दवाइयां मिली हैं। उसने डॉक्टर वाला एप्रिन भी पहन रखा था। वहीं, मृतक के बड़े भाई रविकुमार का कहना है कि, धर्मदास, पत्नी और दो बच्चों के साथ रहता था। पिछले कई दिनों से वो बीमार चल रहा था। यही कारण है कि, उसके पास से दवाइयां मिली हैं। साथ ही, उसकी आर्थिक स्थिति भी ठीक नहीं थी, जो उसके लिये सबसे बड़ी चिंता का विषय थी।
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