शराब फैक्ट्री के संचालक विपिन चंद्र अग्रवाल और जगदीश चंद्र अग्रवाल द्वारा देशी, बियर शराब निर्माण की अनुमति लेने के दौरान पर्यावरण विभाग को दिए आवेदन के अनुसार एवं एनओसी मिलने के दौरान फैक्ट्री की 6.6 हेक्टेयर भूमि के कुल रकबा में से 33 प्रतिशत भूमि पर ग्रीन जोन पोषित करना था। लेकिन फैक्ट्री संचालक ने अपनी मजबूत पकड़ के चलते ग्रीन जोन पोषित करने के नाम पर कागजी खानापूर्ति कर पर्यावरण विभाग को गुमराह किया। एनओसी ले ली लेकिन आज तक इस ओर ध्यान नहीं दिया।
फैक्ट्री से निकलने वाला जहरीला पानी जानवरों और इंसानों को घातक
डिस्लरी का विषैला पानी नदी में जाने से आसपास के कुओं का पानी जहरीला हो रहा। यह जहरीला पानी मवेशियों एवं इंसानों के लिए घातक है। आसपास के लोगों व समाजसेवियों ने कई बार शिकायत की लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई।
शराब फैक्ट्री से छोड़े जा रहे जहरीले पानी से आसपास के आधा दर्जन ग्रामीण अंचलों एवं नगरवासियों पर पड़ रहे दुष्प्रभाव को लेकर ग्रामीणों ने एसडीएम से शिकायत की थी। लेकिन कोई कार्रवाई न होने पर ग्रामीणों ने उग्र आंदोलन की चेतावनी दी। इसे गंभीरता से लेते हुए तात्कालीन एसडीएम विनय द्विवेदी ने दो दिन बाद ही माध्यम से 10 विभागों को 2 दिवस के अंदर जबाव पेश करने का आदेश पारित किया था। लेकिन ये कवादय भी बाद में ठंडे बस्ते में चली गई।
![शराब फैक्ट्री](https://cms.patrika.com/wp-content/uploads/2024/01/15/shrab_factory_8681924-m.jpg)