ऐसे मिला काम
विक्रम बचपन से ही एक कलाकार बनना चाहते थे। पढ़ाई में भी अव्वल थे। छिंदवाड़ा में उत्कृष्ट विद्यालय में ही उनकी पढ़ाई हुई। सन 2014 में ओम मंच पर अस्तित्व नामक नाट्य संस्था से जुड़ गए और अपने कला को निखारने लगे। इसके बाद उन्होंने दिल्ली, जयपुर में अभिनय की बारीकियां सीखी। वर्ष 2019 में चयन अकादमी ऑफ थिएटर आट्र्स मुंबई यूनिवर्सिटी में हो गया। उन्होंने अभिनय का प्रशिक्षण लिया। इसके बाद वे फिल्म इंडस्ट्री में काम की तलाश करने लगे। काफी मेहनत के बाद प्रसिद्ध डायरेक्टर अकाशादित्य लामा की नजर उन पर पड़ी। उन्होंने फिल्म बंगाल 1947 में सेकंड लीड के लिए विक्रम को चुन लिया। फिल्म डेढ़ साल में बनकर तैयार हो चुकी है और शुक्रवार को रिलीज हो रही है।
इस दौरान विक्रम को दो वेब सीरिज सहित अन्य शॉर्ट फिल्मों में भी काम करने का मौका मिला है।
परिवार ने पहले किया था मना
विक्रम के पिता रखलाल टांडेडर किसान हैं। माता सुनीता टांडेकर गृहिणी हैं। तीन भाईयों में वे सबसे छोटे हैं। विक्रम ने बताया कि वे पढ़ाई में हमेशा अव्वल रहे। इसलिए पिता यह चाहते थे की सरकारी नौकरी करूं, लेकिन मुझे कलाकार बनना था। मैंने पिता से कहा कि अगर मैं नौकरी कर भी लूं तो भी सुकून नहीं मिलेगा। इसके बाद वे मान गए और मुझे मुंबई जाने की इजाजत दे दी। छोटे से गांव से निकलकर बड़ा सपना देखा और फिर उसे पूरा करने के लिए दिन-रात मेहनत की। अटूट दृढ़ संकल्प और अपने सपनों की निरंतर खोज के साथ, सिनेमा की अत्यधिक प्रतिस्पर्धी दुनिया में अपनी जगह बनाई।