ऐसे करता है काम
स्मोक डिटेक्शन एक लूप में कंट्रोल मॉड्यूल से जुड़ा होता है। आग लगने की स्थिति में यह कंट्रोल मॉड्यूल ऑडियो विजुअल साउंड अलार्म, लाइट इंडिकेटर, प्रीलोडेड घोषणा के लिए पीए सिस्टम और ब्रेक का स्वचालित रूप से कार्यरत हो जाता है तथा ट्रेन को रोककर और यात्रियों को सतर्क करने में मदद करता है। इसके अलावा ट्रेनों के पावर कार एवं पैंट्रीकार में भी एडवांस फायर एंड स्मोक डिटेक्शन एंड सप्रेशन सिस्टम के तहत एस्पीरेशन एवं हीट टाइप फायर एंड स्मोक डिटेक्शन सेंसर्स, सप्रेशन आउटलेट, पीएलसी पैसेंजर अलार्म बजर आदि उपकरण लगाए जा रहे हैं। ट्रेनों के पावर कार एवं पैंट्रीकार में फायर स्मोक डिटेक्शन सिस्टम लगने से आने वाले दिनों में ट्रेन के अंदर आग लगने से पहले ही फायर स्मोक डिटेक्शन सिस्टम से अलार्म बजने लगेगा, जिससे आग पर समय रहते काबू कर लिया जाएगा।
फायर स्मोक डिटेक्शन सिस्टम लगने के बाद ट्रेन में धुंआ, चिंगारी या आग का संकेत मिलते ही सिस्टम में लगा सेंसर सक्रिय हो जाएगा, अलार्म बजने के साथ दोनों सिलेंडर क्रियाशील होकर प्रेशर बनाने लगेंगे। कुछ देर में नाइट्रोजन और पानी का मिश्रण पाइपों में प्रवाहित होने लगेगा। दबाव बढ़ते ही वाल्व खुल जाएगा और नाइट्रोजन मिश्रित पानी का बौछार शुरू हो जाएगा। इस प्रकार आग बुझाने पर काबू पा लिया जाएगा। इसके अतिरिक्त एसी कोचों में धु्रमपान करने वाले भी चिन्हित किए जा सकते हैं। ऐसे लोगों पर सख्त कार्रवाई की जाएगी। दरअसल धू्रमपान करने वालों से सहयात्रियों को दिक्कत होती है तथा ट्रेनों में आगजनी की घटना होने की संभावना रहती है। अब चलती ट्रेने में धु्रमपान से और धुंआ उठते ही अलार्म अर्लट कर देगा।
इनका कहना है…
ट्रेनों में आग लगने की घटनाओं को रोकने के लिए दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे द्वारा एडवांस फायर एंड स्मोक डिटेक्शन सिस्टम लगाया जा रहा है। कई ट्रेनों में यह सिस्टम लग भी चुका है। धीरे-धीरे सभी ट्रेन में लग जाएगा।
बीआर नायडू, पीआरओ, दपूमरे, नागपुर मंडल