तारा कॉलोनी स्थित श्री सिद्धेश्वर शिव मंदिर प्रांगण में आयोजित शिव महापुराण कथा के तीसरे दिन सोमवार को वृंदावन से पधारे कथा वाचक पं. अरुण कृष्ण शास्त्री ने विभिन्न प्रसंग का विस्तार से वर्णन किया।कहा कि भगवान भाव से मिलते हैं, भाव में बड़ी शक्ति है। बिना भाव के कुछ है ही नहीं। संसार में मनुष्य भागदौड़ की जिंदगी जी रहा है। कहता है समय है ही नहीं। मनुष्य के पास चिंता है, तनाव व अवसाद है, विषाद और प्रमाद है, इतने में ही मनुष्य उलझा हुआ है। उन्होंने कहा कि हर जीव मात्र के प्रति प्रेम का भाव रखना चाहिए। माता पिता के रूप में घर में देवता विराजमान हैं, परंतु भाव के बिना उनका कोई महत्व नहीं है। कथावाचक ने शिवलिंग की अनंत महिमा का वर्णन किया और कहा कि चांदी और मिट्टी के शिवलिंग की पूजा पद्धति और फल का अलग-अलग विधान है। शिवलिंग पूजा के बारे में शिव पुराण में विस्तार से बताया गया है। भगवान ने भी कहा है कि वह भाव के भूखे हैं। भाव ही एक सार है और जब सब एक दूसरे के प्रति प्रेम का भाव रखेंगे तो विश्व में सुख शांति और समृद्धि आएगी।
कथावाचक नेपार्थिव शिवलिंग की महिमा एवं कामनाओं के अनुसार शिवलिंग के पूजन और शिवलिंग नैवेद्य खाने का विधान, भस्म धारण एवं रुद्राक्ष धारण करने की विधि, शिव क्षेत्र का विस्तार आदि प्रसंग भी सुनाए। कथा का श्रवण करने काफी संख्या में श्रद्धालु मौजूद रहे। मंदिर में 10 से 19 फरवरी तक शिव महापुराण कथा का आयोजन किया जा रहा है। कथा प्रतिदिन दोपहर 2 बजे से शाम 5 बजे तक हो रही है।