पर्याप्त फंड का आबंटन नहीं होने से यह केवल रस्म अदायगी बनकर रह गई है।
छिंदवाड़ा•Mar 19, 2020 / 11:17 pm•
arun garhewal
कामगारों के आश्रितों को नहीं मिल रहा सुविधा का लाभ
छिंदवाड़ा. परासिया. कोल इंडिया की अनुसांगिक कम्पनी वेकोलि द्वारा वेजबोर्ड तथा अन्य स्तरों पर कोयला खदान कामगारों के आश्रितों की सुविधा के लिए कई घोषणाएं की गई लेकिन अधिकारियों द्वारा रूचि नहीं लेने और पर्याप्त फंड का आबंटन नहीं होने से यह केवल रस्म अदायगी बनकर रह गई है।
कामगारों के आश्रितों को मेडिकल तथा बच्चों की शिक्षा पर वेकोलि वेलफेयर बोर्ड द्वारा अकेले पेंच क्षेत्र में करोड़ों रूपये प्रतिवर्ष व्यय किया जाता है इसके बाद भी मिस मैनेजमेंट के कारण उसका पूरा लाभ नहीं मिल पाता है। कामगारों के बच्चों की बेहतर शिक्षा के लिए बडक़ुही में केन्द्रीय विद्यालय का पूरा खर्च वेकोलि वहन करती है प्रतिवर्ष लगभग चार करोड़ रुपए खर्च करने के बाद भी सभी कामगारों के बच्चों को विद्यालय में प्रवेश नहीं मिल पाता है। जिन्हें एडमीशन नहीं मिलता था वो फ्लावर वेल स्कूल चांदामेटा में प्रवेश लेते थे लेकिन संचालन को लेकर हो रहे विवाद के कारण वेकोलि संचालन कमेटी से अलग है और अब इस स्कूल को वेकोलि अनुदान नहीं देती है। झुर्रे स्थित फ्लावरवेल स्कूल को प्रतिवर्ष लगभग चार लाख बीस हजार का अनुदान दिया जाता है।
झुर्रे और भोकई कॉलोनी में निवासरत कामगारों के बच्चों को अच्छी शिक्षा नहीं मिल पाती है इसके लिए उन्हें साठ किमी की दूरी तय कर बडक़ुही केन्द्रीय विद्यालय आना पड़ता है। कामगारों के अविवाहित और 25 वर्ष से कम आयु के बच्चों को मेडिकल सुविधा का प्रावधान है।
शिक्षा के लिए नहीं मिलती प्रोत्साहन राशि : कामगारो के बच्चो की उच्च शिक्षा जैसे एमबीबीएस, बीई, बीटेक सहित अन्य समकक्ष शिक्षा के लिए प्रोत्साहन राशि देने का प्रावधान किया गया है जिसमें अध्ययनरत बच्चों का शिक्षण शुल्क कंपनी द्वारा दिया जाता है लेकिन इसके नियम शर्त बहुत जटिल है। और आवेदन के तीन साल के बाद राशि मिलती है तब तक बच्चे का कोर्स पूरा हो जाता है। विष्णुपुरी खदान में कार्यरत एक कामगार के पुत्र को बीई का शिक्षण शुल्क तीन वर्ष के बाद मिला है। अधिकारियों द्वारा इन योजनाओं में दिलचस्पी नहीं लेने के कारण कामगार के बच्चे इसका लाभ नहीं उठा पाते हंै।