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चित्तौड़गढ़

नहीं टूट रहा था ढांचे का प्लास्टर, तब उमा भारती ने दी थी ऐसी सलाह, कारसेवक ने सुनाई पूरी दास्तां

अयोध्या में हुई कारसेवा में चित्तौड़गढ़ के भदेसर उपखंड के भादसोड़ा कस्बे सहित अन्य गांवों से भी कार सेवक गए थे और कार सेवा की थी। कारसेवक विवादित ढांचे के गुंबद पर चढ़ गए थे और गिरने का प्रयास किया था। इसका प्लास्टर नहीं उखड़ा तो बाद में उमा भारती के कहने से नीचे से ढांचे को गिराना शुरू किया था।

चित्तौड़गढ़Jan 22, 2024 / 04:23 pm

Rakesh Mishra

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अयोध्या में हुई कारसेवा में चित्तौड़गढ़ के भदेसर उपखंड के भादसोड़ा कस्बे सहित अन्य गांवों से भी कार सेवक गए थे और कार सेवा की थी। कारसेवक विवादित ढांचे के गुंबद पर चढ़ गए थे और गिरने का प्रयास किया था। इसका प्लास्टर नहीं उखड़ा तो बाद में उमा भारती के कहने से नीचे से ढांचे को गिराना शुरू किया था। हालत यह हो गए थे कि रेत गिरने से एक-दूसरे को पहचानना मुश्किल हो गया था। अब अयोध्या में रामलीला की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा के उत्सव से पूरा देश राममय हो गया है। ऐसे में कार सेवकों का उत्साह देखते ही बन रहा है।
भादसोड़ा से कारसेवक जगदीशचंद्र तेली ने बताया कि 2 दिसंबर 1992 को परिवार के मना करने के बावजूद में अंधेरे में घर से निकल कर साथी कारसेवक बलवंत कुमार सोनी के घर पहुंचे। यहां परिजन ने आरती कर अयोध्या के लिए रवाना किया। भादसोड़ा से नरेंद्र खेरोदिया सांवरमल व अन्य लोग चित्तौडग़ढ़ रेलवे स्टेशन तक छोड़ने आए थे। यहां भदेसर उपखंड के आठ व निम्बाहेड़ा, कनेरा घाट के 45 कारसेवक आए थे। इनके जत्थे में विधायक श्रीचंद कृपलानी भी थे। कोटा से लखनऊ और फिर अयोध्या के लिए कूच किया। फैजाबाद रेलवे स्टेशन से सभी पैदल ही अयोध्या की तरफ चल पड़े। सुबह अयोध्या पहुंच रामलला के दर्शन किए। सभी कार सेवक अगले दिन विवादित ढांचे पर पहुंचे। जहां अचानक उनमें आक्रोश व्याप्त हो गया और ढांचे पर चढ़ाई कर दी। इससे चारों तरफ अफरा-तफरी मच गई। कारसेवक ने ढांचे को गिराना शुरू किया।
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जगदीश ने बताया कि वहां बलवंत ढांचे के ऊपर चढ़ रहे थे। मैं भी एक पेड़ पर चढ़ा और ढांचे के ऊपर पहुंच गया। जहां कारसेवक गुंबद तोड़ रहे थे। किसी के भी पास औजार नहीं थे। बैरिकेट्स के पाइप, सरिया आदि थे, लेकिन काफी प्रयास के बाद भी प्लास्टर नहीं उखड़ा। तब उमा भारती आई, जिन्होंने कारसेवकों से कहा कि इसे नीचे से तोड़ना शुरू करें। तब पाइप लेकर लोगों ने ढांचे को नीचे से तोड़ना शुरू किया और दोनों गुंबद गिरा दिए।

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