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चंदन पेड़ों की संख्या से अनजान विभाग

वन विभाग के एक अधिकारी ने कहा कि तस्करों को अवैध बाजार में चंदन की लकड़ी के लिए १२-१४ हजार रुपए किलो का भाव मिल जाता है। पड़ोसी राज्यों में चंदन तेल बनाने वाली कंपनियों में अवैध तरीके से तस्करी किए गए चंदन की लकड़ी की आपूर्ति होती है।

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चंदन पेड़ों की संख्या से अनजान विभाग

चंदन पेड़ों की संख्या से अनजान विभाग

कोयम्बत्तूर वन विभाग के एक अधिकारी ने कहा कि तस्करों को अवैध बाजार में चंदन की लकड़ी के लिए 12 -14 हजार रुपए किलो का भाव मिल जाता है। पड़ोसी राज्यों में चंदन तेल बनाने वाली कंपनियों में अवैध तरीके से तस्करी किए गए चंदन की लकड़ी की आपूर्ति होती है। पुलिस और वन विभाग के बीच समन्वय और कर्मचारियों का अभाव भी तस्करों के लिए मुफीद साबित हो रहा है। दोनों विभाग अपने बल पर अभाव तस्करों पर काबू पाने में असमर्थता जता रहे हैं लेकिन पर्यावरणविदें का कहना है कि अगर दोनों विभाग मिलकर काम करें तो चंदन तस्करों की नकेल कसी जा सकती है। वन विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि कोयम्बत्तूर के शहरी इलाकों में चंदन के पेड़ों की संख्या को लेकर विभाग के पास कोई आंकड़ा उपलब्ध नहीं है। कर्मचारियों की कमी के कारण विभाग चंदन के पेड़ों की गणना करा पाने की स्थिति में भी नहीं है। जिला वन अधिकारी वेंकटेश ने कहा कि हम तस्करों के बारे में मिली सूचनाओं को पुलिस के साथ साझा कर रहे हैं। चंदन की तस्करी को रोकने के लिए वन विभाग पुलिस के साथ मिलकर काम कर रहा है। पुलिस उपायुक्त (कानून-व्यवस्था) एल बालाजी सर्वणन का कहना है कि चंदन के पेड़ शहर के कई इलाकों में पाए जाते हैं, इसलिए अकेले पुलिस के लिए चंदन की तस्करी को रोक पाना संभव नहीं है। वे कहते हैं कि इसमें जनता का सहयोग भी आवश्यक है। जिन लोगों के घर परिसर मेें चंदन के पेड़ हैं, अगर वे पुलिस को सूचित करते हैं तो रात्रि के समय गश्त पर तैनात पुलिस कर्मी विशेष निगरानी बरत सकते हैं।