
श्रद्धा व आस्था जैन धर्म का आधार
कोयम्बत्तूर. जैन धर्म चमत्कार नहीं श्रद्धा व आस्था पर विश्वास करता है। जैन धर्म में अनेक स्त्रोत ऐसे हैं जिसके वाचन मात्र से बीमारी दूर हो जाती है। यह बात जैन मुनि हितेशचंद्र विजय ने कही। वे आरजी स्ट्रीट स्थित राजस्थान जैन श्वेताम्बर मूर्ति पूजक संघ Rajasthan jain shwetamber murti pujak sangh की ओर से सुपाश्र्वनाथ आराधना भवन Coimbatore में गुरूवार आयोजित धर्मसभा को संबोधित कर रहे थे।
उन्होंने कहा कि वर्तमान में प्रत्येक व्यक्ति शारीरिक, आर्थिक, मानसिक व पारिवारिक परिस्थितियों के चलते पीडि़त हैं। इसके लिए वह उपाय भी करता है। जैन शासन में अनमोल भक्तामर स्त्रोत है जो सारे रोगों से मुक्त करता है और उन्नति की ओर ले जाता है । कर्म की बेड़ी से मुक्त कराने में भी सहायक है। यह स्त्रोत धन्य कुमार चरित्र के माध्यम से परिवार में संगठन बनाने की प्रेरणा देता है। मुनि ने कहा कि मकान में दो दीवारें हो जाए लेकिन मन में दरार नहीं होनी चाहिए।
धर्म व जीवन रूपी नाव के खेवनहार पर अंश मात्र भी संशय नहीं रखना चाहिए। आस्था व समर्पण से कई पुण्य आत्माओं ने उद्धार व कल्याण किया। उन्होंने कहा विवादों को छोड़ कर संगठन का भाव जगाने का प्रयास करना चाहिए। धर्मसभा में मुनि दिव्यचंद्र विजय ने कहा कि ज्ञान को अंतर ह्रदय में पैदा करना चाहिए जिससे अज्ञानता दूर होगी।
Published on:
19 Jul 2019 10:40 am
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