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राग द्वेष की भावना पर नियंत्रण जरुरी

राग द्वेष की भावना पर नियंत्रण रखना जरुरी है। असत्य वचन से सदैव बचना चाहिए।वीरेन्द्रमुनि ने सोमवार को शंकर नगर स्थित जैन स्थानक में चातुर्मास प्रवचन मेंं यह बात कही।

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सेलम. राग द्वेष की भावना पर नियंत्रण रखना जरुरी है। असत्य वचन से सदैव बचना चाहिए।
वीरेन्द्रमुनि ने सोमवार को salem शंकर नगर स्थित जैन स्थानक में चातुर्मास प्रवचन मेंं यह बात कही। उन्होंने श्रावक के 12 व्रतों के संबंध में बताया। उन्होंने कहा कि संपूर्ण क्षेत्र में असत्य का उच्चारण नहीं करूंगा। आजीवन तक असत्य का उच्चारण करने का त्याग करता हूं। उन्होंने कहा कि किसी भी विषय में कषाय के वश होकर या द्वेष भावना से किसी के गुण अवगुणों बताने में सहज रहना चाहिए। जिसके प्रति हमारा राग है वह भले ही खराब हो परंतु उसे अच्छा बताते हैं और जिसके प्रति द्वेष की भावना होती है, उसे हम अच्छा होने पर भी बुरा बताते है। उन्होंने कहा कि श्रावक के व्रतों में मन वचन काया से जिससे देश में अशांति हो या फिर जाति धर्म को कलंक लगे ऐसा झूठा लेख न में लिखूंगा। योग से इस दूसरे व्रत में बहुत ही सावधानी रखने की जरूरत है। सत्य बोलने पर कठिनाईया संकट भी आ सकता है परंतु जो सत्यवादी होता है वह किसी भी संकट व दुखों का सामना करने को तैयार रहते हैं घबराते नहीं हैं और अपने सत्य धर्म पर द्दढ रह कर अपने कर्मों की बेडिय़ों को तोड़कर परम पद को प्राप्त करते हैं।